सच है इन को मुझ से क्या और मेरे अफ़्साने से क्या
कर दिया दीवाना तो अब काम दीवाने से क्या
इश्क़ का आलम जुदा है हुस्न की दुनिया जुदा
मुझ को आबादी से क्या और तुम को वीराने से क्या
मेरी हैरत इस तरफ़ है तेरी ग़फ़लत उस तरफ़
देखिए दीवाना अब कहता है दीवाने से क्या