क्या आप जानते हैं कि, भारतीय पंचांग प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक वर्ष का एक विशिष्ट नाम होता है ? और यह भी कि, प्रत्येक नाम का एक विशिष्ठ अर्थ होता है?
प्रति 60 वर्षों को कहते हैं #संवत्सर।
प्रत्येक नाम 60 साल बाद फिर से आता है।
साल आमतौर पर
मध्य अप्रैल में शुरू होता है।
वर्ष 2019-20 का नाम '#विकारी' रखा गया,
जो एक '#बीमारी_वर्ष बनकर
अपने नाम पर खरा उतरा!
कोविड की शुरुआत 2019 से हुई।
वर्ष 2020-21 का नाम #शर्वरी' रखा गया,
जिसका अर्थ है #अंधेरा,
और इसने दुनिया को
एक अंधेरे चरण में धकेल दिया!
अब '#प्लावा वर्ष 2021-22 प्रारंभ हो रहा है।
"प्लावा'' का अर्थ है,
"पार करा देने वाला।
वराह संहिता कहती है:
यह दुनिया को असहनीय कठिनाइयों के पार ले जाएगा
और हमें एक बेहतर स्थिति तक पहुंचाएगा।
यानी अंधेरे से प्रकाश की ओर चलने का समय
वर्ष 2022-23 का नाम 'शुभकृत' रखा गया है,
जिसका अर्थ है कि,
जो शुभता पैदा करता है।
यानी अब हमें आगे देखना है
और हम एक बेहतर कल की उम्मीद कर सकते हैं
कोई माने या न माने
लेकिन सनातन धर्म दुनिया का
सबसे वैज्ञानिक, व्यावहारिक
और समावेशीक धर्म है।
हमारे ऋषि और मुनि
तब भी सटीक भविष्यवाणी कर सकते थे
जब आधुनिक गैजेट और उपकरण मौजूद नहीं थे।
सनातन के लिए
ये श्रद्धा और विश्वास अनायास ही नही है
बल्कि इसमें समावेशित ज्ञान और जानकारी के लिए है ।
-बाबापण्डित (http://www.babapandit.com)