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आजाद भारत की पहली महिला रेल मंत्री के बारे में जानें

  • 12 Aug 2022

आजादी के 75 साल पूरे हो गए हैं। भारत इस मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। गुलाम भारत के आजाद होने के बाद से देश में कई बड़े बदलाव आए। ये बदलाव हर क्षेत्र में देखने को मिले। विकास के स्तर पर बहुत कुछ नया हासिल किया गया तो वहीं राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भी बड़े बदलाव देखने को मिले। भारत की आजादी में पूरे देश का योगदान था। कुछ लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया तो अन्य ने अंग्रेजो की गुलामी से बाहर निकलने के लिए आंदोलन में हिस्सा लिया। आंदोलन शुरू करने और उसका हिस्सा बनने वालों में महिलाएं भी शामिल हुईं। आज आजाद भारत में कई महिलाएं हैं तो अलग अलग क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। ममता बनर्जी को लोग आज की राजनीति का एक बड़े नाम के तौर पर जानते हैं। वह बंगाल की मुख्यमंत्री हैं तो वहीं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं। पार्टी और राज्य सरकार संभाल रहीं ममता के नाम एक और बड़ी उपलब्धि है। ममता बनर्जी आजाद भारत की पहली महिला रेल मंत्री भी रह चुकी हैं। चलिए जानते हैं देश की पहली महिला रेल मंत्री ममता बनर्जी के राजनीतिक सफर और उपलब्धियों के बारे में।
15 साल की उम्र में ममता की राजनीति में एंट्री
राजनीति में दीदी के नाम से प्रसिद्ध ममता बनर्जी का राजनीतिक जीवन बहुत दमदार रहा है। बंगाल की राजधानी कोलकाता में 5 जनवरी 1955 को ममता बनर्जी का जन्म हुआ था। वह एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनकी शुरूआती शिक्षा बंगाल से हुई। जिसके बाद महज 15 साल की उम्र में ममता राजनीति में आ गईं। ममता बनर्जी के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। पिता की सीख हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास करते ही उन्हें राजनीति में ले आई।
पढ़ाई के साथ राजनीति में सक्रिय रहीं ममता
हालांकि 17 साल की उम्र में ही ममता के सिर से पिता प्रोमिलेश्वर बनर्जी का साया उठ गया। पिता के जाने के बाद ममता ने उनके आदर्शों पर चलने का फैसला लिया। साथ ही पढ़ाई भी पूरी की। पहले बीए और फिर इस्लामिक इतिहास से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। बाद में जोगेश चंद्र चौधरी कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के साथ ममता राजनीति में भी सक्रिय रहीं। उन दिनों ममता कांग्रेस पार्टी के संपर्क में आईं और छात्र परिषद संघ की स्थापना की। 1970 में ममता राज्य महिला कांग्रेस की महासचिव नियुक्त की गईं। साल 1984 में ममता बनर्जी ने कम्युनिस्ट पार्टी के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को हरा दिया और सांसद बन गईं।
देश की पहली महिला  रेल मंत्री
कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से जुड़े रहने के साथ ही ममता को कई अलग-अलग पदों पर कार्य करने का मौका मिला। साल 1999 में ममता को देश की पहली महिला रेल मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। हालांकि सरकार कुछ ही समय में गिर गई और ममता अधिक समय के लिए मंत्री पद पर न रहीं। बाद में ममता उद्योग मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य भी रहीं। साल 2004 में कोयला और खानों के केंद्रीय पद पर ममता ने कार्य किया।
लगातार तीन बार से मुख्यमंत्री बन रहीं ममता
साल 2011 में ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। साल 2016 में दोबारा चुनाव में ममता बनर्जी को भारी मतो से जीत मिली और वह फिर सत्ता में आईं। ये ममता की लोकप्रियता ही है कि साल 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी तीसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनी।
साभार अमर उजाला