सूर्य ग्रहण सूर्यास्त के बाद 6:30 बजे तक रहेगा। इसलिए वेधकाल (सूतक) 26 अक्टूबर बुधवार को उदित सूर्य के दर्शन तक रहेगा। अगले दिन बुधवार प्रातः सूर्योदय से नवीन दर्शन के साथ इस ग्रहण की निवृत्ति तथा प्रतिपदा के पर्व का उत्सव आदि मनाए।
साल 2022 का आखिरी सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर 2022 को लगने वाला है. दिवाली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है।
अगर अमावस्या तिथि की बात करें तो वह 24-25 .अक्टूबर को दोनों दिन रहेगी।
अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर 2022 को शाम 05:27 बजे शुरू हो रही है जो 25 अक्टूबर 2022 दोपहर 04:18 बजे तक रहेगी।
सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार को लगेगा।
यह ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण है जो 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा। ग्रहण मुख्य रूप से यूरोप, उत्तर-पूर्वी अफ्रीका और पश्चिम-एशिया के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा। भारत में ग्रहण नई दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, उज्जैन, वाराणसी, मथुरा में दिखाई देगा, यह भी बताया जा रहा है कि पूर्वी भारत को छोड़कर सारे भारत में इस सूर्य ग्रहण को देखा जा सकता है।
सूर्य ग्रहण भौगोलिक घटना है जिसे कई बार आंखों से नहीं देखा जाता। दरअसल, सूर्य के चारों को पृथ्वी समेत कई ग्रह परिक्रमा करते रहते हैं।
पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा है और वह पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करता रहता है। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है कि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक सीधे नहीं पहुंच पाता क्योंकि चन्द्रमा बीच में आ जाता है. इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.
क्या होता है आंशिक सूर्य ग्रहण?
आंशिक सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि को लगता है। आंशिक सूर्य ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है। इस ग्रहण के दौरान सूर्य का प्रकाश धरती तक पहुंचने से पहले चन्द्रमा बीच में आ जाता है और सूर्य का कुछ भाग ही नजर आता है. इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं.
सूर्य ग्रहण का समय
भारतीय समयानुसार उज्जैन के महाकाल पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार को दोपहर 4 बजकर 42 बजे से आरम्भ होगा।
मोक्ष सूर्यास्त के बाद शाम 6 बजकर 30 हो जाने के से यह ग्रहण ग्रस्तास्त होगा।
पर्वकाल सूर्यास्त तक संध्या 5 बजकर 50 मिनिट यानि 1 घंटा 8 मिनिट का होगा।
वेधकाल तारीख 25 अक्टूबर के सूर्योदय पूर्व से रहेगा।
ग्रस्तास्त होने से तारीख 26 बुधवार के उदित सूर्य के दर्शन तक वेधकाल रहेगा।
राशिगत फल :- वृषभ , सिंह , धनु और मकर राशि वाले जातको के लिए शुभ रहेगा।
मेष , मिथुन , कन्या और कुम्भ राशि के जातको के लिए माध्यम रहेगा।
कर्क , तुला , वृश्चिक और मीन राशि के लिए नेष्ट रहेगा।
सूतक काल में क्या करें और क्या ना करें?
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सूतक काल में कोई भी शुभ काम को शुरू करने से बचें.
सूतक काल में भगवान की भक्ति करे ।
सूतक काल में ना ही खाना बनाएं और ना ही खाना बनाएं. अगर खाना बना हुआ रखा है तो उसमें तुलसी के पत्ते डालकर रखें.
सूतक काल में दांतों की सफाई और बालों में कंघी नहीं करने की भी मनाही होती है.
सूतक काल में भगवान के मंदिर के पट बंद कर देना चाहिए.
सूतक काल के दौरान सूर्य मंत्रों का जाप करना चाहिए.
सूतक काल समाप्त होने के बाद घर की सफाई करें और उसके बाद भगवान की पूजा करें.
सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर के बाहर ना जाने दें और विशेष सावधानी बरतें.
सूर्य ग्रहण के दौरान "ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात" मंत्र का जाप करें
पंडित डॉ. मनीष शर्मा
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