Highlights

इंदौर

इंदौर में पर्यावरण को लेकर जागरुकता की कमी

  • 14 Jul 2021

वृक्षा रोपण के लिए सही योजना का अभाव
587 बगीचों के 17हजार वृक्षों के बदले
ढाई गुना 44 हजार 624 सड़कों पर 
इंदौर। हमारा इंदौर शहर अनेक मामलों में नंबर वन है। वहीं अन्य कुछ और मामलों में भी नंबर वन की ओर ओर अग्रसर है। लेकिन कहीं ना कहीं पर्यावरण के मामले में तय गाइडलाइन को लेकर हम लगातार पिछड़े हुए हैं। इंदौर के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इसे लेकर एक बड़ी लंबी लड़ाई भी सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़ी है उसके बाद सुधार तो हुआ है किंतु पर्याप्त नहीं। इसी विषय को लेकर डिटेक्टिव ग्रुप रिपोर्ट अपने संकल्प " सतर्क रहे -सजग रहे अभियान" को लेकर एक खास जानकारी प्रस्तुत कर रहा है।
देश का संभवतः इन्दौर पहला शहर है जहां वृक्षों कि गणाना कि गयी है। इस वक्त इंदौर शहर मैं कुल 85,722 वृक्ष पाये गये हैं । इनमे शहर कि सड़कें, श्मशान, कब्रिस्तान, प्रतिमाऐ,छत्री, स्कुल, अस्पताल, थाने सम्मिलित कर 1377 का रिकॉर्ड बनाया गया । न्यायालय के आदेश के बाद विस्तारित 85 वार्ड का पुनः रिकॉर्ड बनाया गया तो सड़कें छोड़कर बगीचों की संख्या 1054 हो गयी । सिर्फ यही नहीं दोनों रिकॉर्ड मिलान करनें पर 96 बगीचे गायब कर दिये गये है । इस मामले को लेकर जो जानकारी प्रकाश में आई है उसके अनुसार  1149 आवासीय क्षेत्रों के बगीचे होते हैं । 2200 कालोनियों के मान से लगभग 1000 बगीचे रिकॉर्ड मैं नहीं है। यह आंकड़ा नगर निगम ने इंदौर कोर्ट में पेश किया है।
दर असल इंदौर नगर पालिका अधिनियम 1956 के अधिकार दायित्वों के अनुसार वृक्ष, बगीचे  निगम सम्पत्ति होकर राजस्व रिकार्ड बनाना आवश्यक है। लेकिन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। पालन न होने को लेकर विकास मित्र दृष्टि 2050 के किशोर कोडवानी 2009 से लोकोउपयोगि लोक अदालत, म प्र उच्च न्यायालय, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल आदि में अपील के लिए गए और वहां उन्होंने काफी मशक्कत के बाद  अनेकों आदेश पारित कराये है । प्राप्त दस्तावेजों कि एकिक्रत संकलित जानकारी उन्होंने  प्रेस को जारी की थी। जिसमें उन्होंने मुक्तिधाम श्मशान घाट सार्वजनिक बगीचे रहवासी क्षेत्रों के बगीचे शासकीय जमीनों पर लगे वृक्ष आदि के अलावा अन्य जानकारियां एकत्रित कर इंदौर में कुल वृक्षों की संख्या दर्शाई थी। डिटेक्टिव ग्रुप रिपोर्ट की टीम से चर्चा करते हुए संस्था विकास मित्र के सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने बताया कि उनके पास एक बेहतर योजना है जिसके अनुसार वर्तमान में जो वृक्षों की संख्या जो हजारों में है उसे लाखों में किया जा सकता है। शहर में यूं तो अनेक स्थान है। लेकिन अकेले कान्ह कृष्णपुरा नदी के दोनों भागों में अगर वृक्षारोपण किया जाए तो कम से कम 5 से 7 लाख वृक्ष अकेले नदी के दोनों छोर पर लगा दिए जाएं तो वे मात्र 1 वर्ष की अवधि के बाद स्वयं ही अपना पालन पोषण करने में सक्षम हो जाएंगे।
क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता कोडवानी- 
इस मामले में किशोर कोडवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि भुमी बिकास नियमानुसार 278 वर्ग किलोमीटर निगम सीमा मैं 10% अर्थात 27.8 वर्ग किलोमीटर बगीचों कि जमीन के बदले मात्र 3.17 वर्ग किलोमीटर 1.14% क्षेत्रफल पाया गया है । 1245 बगीचों मैं से 804 कि नपती मैं 3178918 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पाया गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया की 2 छत्री, 19 श्मशान, 12 क़ब्रिस्तानों मै  प्रत्येक मैं 65 के हिसाब से 2140 झाड है । जबकि आवासीय क्षेत्रों के 587 बगीचों में औसत 29 के मान से 17,174 झाड है ।वहीं 1053 आवासीय क्षेत्रों के बगीचों का भौतिक सत्यापन करने पर 804 कि नपती कि गयी। जिसमे 620 विकासीत, 144 मैं मन्दिर व 54 में टंकीयों का निर्माण पाया गया है। जो सीधे सीधे  सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लघंन किया गया है ।
यहां भी वृक्षों के लिए रिक्त पड़ी है काफी भूमि
32 कब्रिस्तान 
38 प्रतिमाएं 
2 छतरियां 
5 बड़े चिकित्सालय
 47 बड़े स्कूल 
23  शासकीय कार्यालय
13  निगम कार्यालय 
 113 बगीचों में मंदिर भी स्थित है 
63 बगीचों में पानी की टंकियां है 
5 बड़े खेल परिसर है 
8 तालाब 
रीजनल पार्क सहित छह बड़े पार्क 
1018 आवासीय कॉलोनी
 इस तरह लगभग 14 सौ से अधिक स्थानों पर वृक्ष लगाने के लिए अभी भी काफी स्थान मौजूद है।