देहरादून. उत्तराखंड के मदरसों में अब संस्कृत के श्लोक भी गूंजने वाले हैं, क्योंकि उत्तराखंड मदरसा एजुकेशन बोर्ड ने इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके साथ ही अरबी भाषा की शिक्षा भी दी जाएगी. इस बात की जानकारी उत्तराखंड मदरसा एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने दी है. उन्होंने कहा कि संस्कृत और अरबी दोनों प्राचीन भाषाएं हैं और इनमें आपस में कई समानताएं हैं.हमारे मदरसों में एनसीईआरटी का कोर्स लागू किया और 96.5 पर्सेंट बच्चे पास हुए हैं. हम उन बच्चों को मेन स्ट्रीम से जोड़ रहे हैं जिसे पूर्व सरकारों ने भय दिखाकर मुख्यधारा से काटा था.
मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ़्ती शमून काज़मी ने कहा कि उत्तराखंड में मदरसों में लगातार हो रहे सुधारों के तहत अब ऐसे प्रावधान लागू किए जा रहे हैं, जिन्हें पहले तार्किक नहीं माना जाता था. मदरसों को अब तक खास तौर पर एक समुदाय की भाषा और संस्कृति से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन अब इस छवि को बदलने की कोशिश की जा रही है.
मुफ्ती ने कहा कि हम चाहते हैं कि पंडित जी को अरबी आनी चाहिए और मौलाना साहब को संस्कृत आनी चाहिए. भाषाएं किसी की नहीं होती, लोग जितना ज्ञान हासिल कर लें, वो सबसे अच्छा है. हमारे बीच की दूरियां कम होनी चाहिए, हमें एक दूसरे के बारे में जानना चाहिए.
साभार आज तक
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उत्तराखंड के मदरसों में गूंजेंगे संस्कृत के श्लोक, वक्फ बोर्ड ने तैयारी शुरू की
- 18 Oct 2024