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जबलपुर

उमा भारती के पत्थर की गूंज जबलपुर मे- तीन दिन में शहर के तीन स्थानों पर शराब दुकानों के विरोध में सड़क पर उतरी महिलाएं, बदलनी पड़ रही जगह

  • 05 Apr 2022

जबलपुर। प्रदेश में शराब बंदी की मांग और एक दुकान पर पत्थर फेंक कर राजनीतिक हलचल पैदा करने वाली पूर्व सीएम उमा भारती के आह्वान का असर जबलपुर में दिख रहा है। पिछले तीन दिन में शहर के तीन स्थानों पर खुले शराब दुकानों को बंद कराने महिलाएं सड़क पर उतर आईं। प्रदर्शन में पहुंची संभ्रांत घर की महिलाओं का साथ कांग्रेस और बीजेपी के नेता समान रूप से देते नजर आए। पेंटीनाका में तो बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी ही पहुंच गए। महिलाओं संग प्रदर्शन का अल्टीमेटम दिया, तब मामला थमा। इसी तरह का विरोध कटंगा और फिर पिसनहारी की मढिय़ा गढ़ा में दिखा। मजबूरी में प्रशासन को जगह बदलनी पड़ रही है।
शहर में शराब दुकानों के विरोध की शुरूआत पेंटीनाका में दो अप्रैल की रात में हुई। इस बार जिले में 710 करोड़ रुपए का ठेका शराब की दुकानों का हुआ है। अलग-अलग समूह में हुए इस बार के ठेके में नई शर्त के मुताबिक शराब दुकानों की कीमत में कमी की गई है। नया ठेका नई जगह के चलते विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ।
दरअसल बंगला नं. 45, वाजपेई कंपाउंड, अशोक मार्ग पर गोलछा पेट्रोल पंप के बाजू में मुख्य मार्ग पर शराब दुकान खोल ली गई। इसके विरोध में क्षेत्र की महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया। पेंटीनाका चौक पर चक्का जाम कर दिया। बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी भी पहुंच गए। 24 घंटे के अंदर शराब दुकान हटाने की चेतावनी जारी हुई। वरना खुद विधायक ने प्रदर्शन की चेतावनी दी, तो प्रशासन हरकत में आया।
हवाबाग कॉलेज के पास खुले दुकान का विरोध
तीन अप्रैल की रात विरोध की चिंगारी हवाबाग कटंगा पहुंच गया। यहां शराब दुकान के विरोध में संभ्रांत घर की महिलाएं दुकान के सामने आकर बैठ गईं। मामला सभी परिवारों से जुड़ा है, तो कांग्रेस-बीजेपी के नेता भी पहुंच गए। प्रदर्शन शुरू हुआ। प्रशासन को दो टूक अल्टीमेटम दिया गया कि यहां दुकान नहीं खुलेगी।
बीजेपी-कांग्रेस एक मंच पर
प्रदर्शन कर रही जया चंसोरिया और समर्थन में पहुंचे बीजेपी नेता केके सूरी, कांग्रेस नेता विवेक अवस्थी ने एक सुर में विरोध किया। अब इसे भी हटाने की कवायद की जा रही है। महिलाओं का साफ आरोप था कि कॉलेज व पास में कई स्कूल है। यहां शराब बिकेगी तो बच्चों पर क्या असर पड़ेगा। 24 घंटे शराब पीकर लोग उधम मचाएंगे तो हमारा घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा।
गढ़ा में महिलाओं की जिद पर झुका प्रशासन
विरोध की तीसरी चिंगारी गढ़ा में पिसनहारी की मढिय़ा के पास सुलगी। यहां खुली नई देशी शराब का महिलाओं ने विरोध करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। बोली कि धार्मिक स्थलों के साथ-साथ स्कूल, मेडिकल कॉलेज और महिलाओं द्वारा संचालित बड़ी संख्या की दुकानें हैं। यहां शराब पीकर लोग उधम मचाएंगे तो हमारी लाज कौन बजाएगा? दो दिन से महिलाओं का प्रदर्शन चल रहा था। रात होते-होते महिलाओं के सब्र का पैमाना छलक पड़ा। शराब बेचने पहुंचे ठेकेदार की पिटाई कर दी। आखिर में प्रशासन को निर्णय बदलना पड़ा।
जबरन शराब रखने पर हुआ विरोध
ठेकेदार द्वारा पुलिस की मौजूदगी में शराब लाकर दुकान में रखा जाने लगा। इस पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रही महिलाओं का गुस्सा भड़क गया। शराब ठेकेदार के गुर्गों पर महिलाएं टूट पड़ीं। क्षेत्रीय लोग भी महिलाओं का साथ देते नजर आए। ठेकेदार और उसके गुर्गे भाग निकले। एसडीएम दिव्या अवस्थी और तहसीलादार मौके पर पहुंचे और कलेक्टर को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। कलेक्टर के निर्देश पर पहुंचे आबकारी आयुक्त ने दुकान वहां न खुलने का आश्वासन दिया, तब जाकर लोगों का आक्रोश थमा।
शराब दुकानों का विरोध करने वालों में ज्यादातर चेहरे भाजपाई
तीनों ही प्रदर्शन में एक समान बात ये है कि तीनों ही स्थानों पर महिलाओं ने विरोध का मोर्चा संभाला। विरोध प्रदर्शन में शामिल चेहरों में भी ज्यादातर चेहरे बीजेपी से जुड़े लोगों की दिखी। अब इसे राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। लोग इसे भोपाल में उमा भारती के राजनीतिक स्टंट से जोड़कर देखने लगे हैं। शराब के विरोध में जिस तरह आधी आबादी सामने आ रही है। उससे 2023 में सत्ता वापसी का अंकगणित गड़बड़ाने की आशंका हो रही है।
सीएम और पूर्व सीएम में सोशल वार
ये आशंका अनायास भी नहीं हैं। 2023 में राजनीतिक रूप से फिर से सक्रिय होने का ऐलान कर चुकी उमा भारती के सियासी कदम और शराब बंदी की मांग ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में खलबली मचा दी है। आलम ये है कि सीएम और पूर्व सीएम में जुबानी चर्चा ने सोशल वार का रूप ले लिया है। पूर्व सीएम ने सोमवार को एक-एक कर 10 पोस्ट किए। इसमें नई आबकारी नीति ही मुद्दा था। जबकि सीएम शिवराज साफ कर चुके हैं कि शराब बंदी नहीं समाज के साथ मिलकर नशामुक्ति का अभियान चलाएंगे।