महीनों तक जिम्मेदारों ने पोहा उद्योग को लेकर बैठकें कीं, तर्क यह कि बात नहीं बनी
उज्जैन। मुख्यमंत्री एक जिला-एक उत्पाद की बड़ी भारी योजना जिस तरह ढोल बजाकर लाए थे, उज्जैन के अफसरों ने पोहा क्लस्टर के नाम पर एक साल उसका बाजा बजाया और अब इस योजना को पलीता लगाकर 26 जनवरी पर भैरवगढ़ प्रिंट की झांकी निकाल दी।
इसे जनता के साथ मजाक समझा जाए या कुछ और, लेकिन सच यही है कि पोहा तो क्लस्टर बनने के पहले ही खत्म हो गया। इस पर सही तरीके से मंथन किया जाता, स्टडी की जाती, तब कोई बात की जाती तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती, लेकिन लगता तो यही है कि अफसरों ने आपकी बात को मजाक से ज्यादा कुछ नहीं समझा। बानगी देखिए।
एक जिला एक उत्पादन अभियान में उज्जैन जिला पिछड़ता जा रहा है। यह हालात तब हैं, जब जिम्मेदार अधिकारियों ने महीनों तक इस अभियान से उज्जैन के पोहा कारोबार को जोड़ने के दावे किए। कई बैठकें व दौरे किए और अब जाकर कह रहे हैं कि बात नहीं बनी। इसलिए अभियान में पोहा की जगह भैरवगढ़ प्रिंट को शामिल करवाने के प्रयास करेंगे। सवाल यह कि शासन की महत्वपूर्ण योजना और लोगों के रोजगार से जुड़े अभियान में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे की जा रही है।
उज्जैन
एक जिला-एक उत्पादन में पिछड़ता उज्जैन
- 05 Feb 2022