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जबलपुर

एसडीएम कोर्ट की अनूठी सजा- बुजुर्ग पिता के पैर धोकर माफी मांगी, रोते हुए कहा, अब नहीं भूलूंगा संस्कार

  • 13 May 2022

जबलपुर। सिहोरा एसडीएम आशीष पांडे परिवारिक विवादों को अनूठे अंदाज में निपटाते हैं। खासकर पिता-पुत्र, मां-बेटा, सास-बहू और ससुर-बहू के रिश्तों से जुड़ा मसला हो, तो कानूनी पक्ष की बजाए आपसी समझौते से रिश्तों पर वर्षों से जमा बर्फ पिघला देते हैं। संस्कारों की ऐसी घुट्?टी पिलाते हैं, कि आत्म ग्लानि में सामने वाले के आंसू निकल जाएं। अपनों का सम्मान पाकर बुजुर्ग भी बड़प्पन दिखाते हुए सारे गिले-शिकवे भूल जाते हैं।
एसडीएम आशीष पांडे ने बताया कि हृदय नगर निवासी 80 वर्षीय आनंद गिरी ने आवेदन दिया था कि उनका बेटा तामेश्वर गिरी और बहू सुलोचना द्वारा प्रताडि़त किया जाता है। राज्य शासन द्वारा आवंटित 750 वर्गफीट के प्लाट पर बने मकान पर बेटा-बहू ने कब्जा कर लिया है। बेटा जान लेने की कोशिश करता है। सेवा करने की बजाए मारपीट कर घर से निकाल दिया है।
गला दबाकर जान लेने की कोशिश
पिता आनंद गिरी ने बताया की एक बार बेटे तामेश्वर ने गला दबाकर उसे जान से मारने की कोशिश भी की, लेकिन वह बच गया। मकान हड़पने के लिए बेटा-बहू कभी भी उसकी जान ले सकते हैं। बेटा उसकी पूरी जमीन बेच चुका है। अब वह घर भी बेचकर पैसा हड़पना चाहता है। इस उम्र में वह कहां जाए। वृद्धाश्रम में भी नहीं रहना चाहता। उसे उसके घर पर कब्जा दिलाया जाए।
पिता-पुत्र को पेशी पर बुलाया
एसडीएम आशीष पांडे ने पिता-पुत्र को पेशी पर बुलाया। एक साथ दोनों के पहले आरोप-प्रत्यारोप सुने। उसके बाद दोनों के रिश्तों को बचपन की ओर ले गए। बेटे से बोले कि तुम्हें याद है, जब तुम छोटे रहे होंगे तो पिता कैसे तुम्हें संभालते थे। बुजुर्ग भी बच्चे जैसे ही हो जाते हैं। पिता से बोले जैसे आप बचपन में बेटे को संभालते थे, दुलारते थे। उसकी छोटी-छोटी गलतियों को माफ कर देते थे। वैसे ही बड़े होने का फर्ज निभाइए, बेटे की भूल को माफ कर दीजिए। बेटे को कई तरह से समझाया। आखिर में पिता-पुत्र दोनों के आंसू निकल आए।
कोर्ट परिसर में पिता के पैर धोए
पश्चाताप के आंसू निकलने के बाद एसडीएम ने बाल्टी में पानी मंगवाया। बेटे ने कोर्ट परिसर में पिता के पैर पखारे। कान पकड़ कर बोला कि अब कोई गलती करू तो दो थप्पड़ लगा देना, मगर अब हम साथ रहेंगे। अच्छे से पिता का ख्याल रखूंगा। पिता ने बेटे के खिलाफ दिया आवेदन वापस ले लिया। पिता-पुत्र एक साथ कोर्ट परिसर से खुशी-खुशी घर रवाना हुए।