उज्जैन। आज वसंत पंचमी है। देशभर में ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन-अर्चन और अनुष्ठान किए जा रहे हैं। आपको मध्यप्रदेश के ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां वसंत पंचमी पर मां शारदे का स्याही से अभिषेक किया जाता है। उन्हें महंगे पेन भी चढ़ाते हैं। स्टूडेंट्स यहां अच्छे भविष्य के लिए मन्नत मांगते हैं।
यह मंदिर उज्जैन में चौरसिया समाज की धर्मशाला के पास बिजासन माता मंदिर के सामने छोटी सी गली में है। इन्हें नीलवर्णी देवी के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार गुप्त नवरात्र और ऋतु काल के परिवर्तन का चक्र विद्यमान होता है। वसंत पंचमी के दिन शुभ योग रहेगा।
300 साल पुराने मंदिर में माता सरस्वती की मूर्ति
पंडित अनिल मोदी ने बताया कि मंदिर 300 साल पुराना मुगलकालीन है। मंदिर में सरस्वती माता की पाषाण की काली मूर्ति है। जीवन में सफल होने की कामना लेकर विद्यार्थी यहां स्याही और कलम चढ़ाते हैं। कई बच्चे यहां पेन और कॉपी का पूजन भी करते हैं। खास तौर पर परीक्षा के दिनों में यहां स्टूडेंट्स का तांता लगता है। स्याही-कलम के साथ विद्यार्थी पीले फूल भी चढ़ाते हैं। मान्यता है कि वसंत पंचमी पर यहां स्याही और पेन चढ़ाने से बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होता है।
वसंत पंचमी पर्व पर सुबह से ही बच्चों के साथ पुरुष-महिलाओं की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। स्याही के कारण कारण मंदिर नीले रंग का हो जाता है।
कैसे शुरू हुई परंपरा, इसका उल्लेख नहीं
मंदिर के पुजारी अजय त्रिवेदी बताते हैं कि यह परंपरा कैसे शुरू हुई, यह तो ठीक से नहीं पता। पिछले 50 साल से इस परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है। परीक्षा में पास होने के बाद भी बच्चे स्याही चढ़ाने आते हैं। खास बात है कि इस दिन के लिए दुकानदार स्याही भी मंगवा कर रखते हैं।
देवी भागवत में भी कहा गया नीलवर्णी
मंदिर के पुजारी अजय त्रिवेदी का कहना है कि शास्त्रों में कहीं-कहीं मां सरस्वती को नीलवर्णी कहा गया है। भगवान विष्णु से आदेशित होकर नील सरस्वती भगवान ब्रह्म के साथ सृष्टि के ज्ञान कल्प को बढ़ाने का दायित्व संभाले हैं। इसका उल्लेख श्रीमद् देवी भागवत में भी मिलता है।
नील सरस्वती के पूजन में नील कमल व फूलों अर्क के नीले फूलों का उपयोग इसी कारण होता है। इन फूलों के अर्क से देवी का अभिषेक किया जाता है। समय के साथ इसमें परिवर्तन आया और फूलों के अर्क का स्थान नीली स्याही ने ले लिया।
उज्जैन
ऐसा मंदिर, जहां सरस्वती मां का स्याही से अभिषेक, 300 साल पुराना मंदिर, वसंत पंचमी पर स्टूडेंट्स मांगते हैं मन्नत
- 14 Feb 2024