नई दिल्ली। सरोगेसी से मां बनने वाली को महिला कर्मचारी को मैटरनिटी लीव पर कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरोगेसी से मां बनने वाली महिला कर्मचारी भी मैटरनिटी लीव की पूरी हकदार है। कोर्ट ने कहा कि यह न सिर्फ महिला के लिए लाभदायक है, बल्कि नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी काफी बेहतर होगा। ओडिशा हाई कोर्ट में जस्टिस संजीब कुमार पाणिग्रही की सिंगल बेंच ने एक महिला कर्मचारी के केस में यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान के आर्टिकल 21 के तहत जीवन का अधिकार, मां बनने के अधिकार के साथ-साथ बच्चों के पूरे विकास का भी अधिकार देता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकार एडॉप्टिव मां को मैटरनिटी लीव दे सकती है तो सरोगेसी से मां बनने वाली कर्मचारी को इससे वंचित रखना गलत होगा।
इस मामले में याचिकाकर्ता गोपाबंधु एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में ज्वॉइंट डायरेक्टर (अकाउंट्स) है। याचिकाकर्ता 20 अक्टूबर 2018 को सरोगेसी से मां बनी थी। उसने 25 अक्टूबर 2018 से 22 अप्रैल 2019 तक के लिए मैटरनिटी लीव के लिए अप्लाई किया था। इसके साथ ही महिला ने 23 अप्रैल 2019 से 9 सितंबर 2019 के लिए ईएल भी अप्लाई किया था। उसने 10 सितंबर 2019 को वापस ज्वॉइन कर लिया गया था। महिला की छुट्टी का आवेदन सैंक्शन के लिए फाइनेंस डिपार्टमेंट में भेजा गया था। फाइनेंस डिपार्टमेंट के अंडर सेक्रेटरी ने महिला का आवेदन लौटा दिया था। साथ ही अधिकारियों से निवेदन किया था कि वह गवर्नमेंट सर्वेंट्स रूल्स के तहत इस तरह की छुट्टियां अप्लाई की जा सकती हैं या नहीं। ऐसा भी संकेत दिया गया था कि रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी या सरोगेसी के जरिए मां बनने पर छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान
दिल्ली
ओडिशा हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, सरोगेसी से मां बनने पर महिला कर्मचारी मैटर्निटी लीव की अधिकारी नहीं?
- 06 Jul 2024