अब पहरे में पानी, गंभीर और शिप्रा से सिर्फ प्यास बुझेगी, खेती नहीं कर सकेंगे
उज्जैन। गंभीर व शिप्रा के पानी को गुरुवार को कलेक्टर ने पीने के उपयोग के लिए सुरक्षित घोषित कर दिया है। अब इनके पानी से न तो सिंचाई की जा सकती है और न ही औद्योगिक या कोई अन्य उपयोग में लिया जा सकता है। इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मप्र पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 9 के तहत कार्रवाई होगी। दोषी पाए जाने पर दो साल की कैद या दो हजार रुपए जुर्माना या दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान हैं।
गंभीर डेम इस समय पूरी क्षमता 2250 एमसीएफटी से भरा है। निगमायुक्त अंशुल गुप्ता की ओर से कलेक्टर आशीष सिंह को यह जानकारी देते हुए बताया कि डेम में संग्रहित पानी को जलप्रदाय के लिए आगामी बारिश तक सुरक्षित रखना जरूरी है। गंभीर बांध के दोनों किनारों पर स्थित गांवों के किसानों द्वारा रबी की सिंचाई के लिए मोटर और पाइप लाइन से पानी लिया जाता है।
इसलिए मप्र पेयजल अधिनियम लागू करने की आवश्यकता है। निगमायुक्त के प्रस्ताव पर कलेक्टर ने आदेश जारी कर दिया है। कलेक्टर ने आदेश में लिखा है कि पेयजल परिरक्षण अधिनियम की धारा 03 के अनुसरण में गंभीर डेम व शिप्रा के जल को संरक्षित घोषित करता हूं। आदेश में उल्लेखित गांवों में केवल पेयजल के लिए पानी के उपयोग की अनुमति रहेगी। अधिनियम की धारा 4 के प्रावधानों के तहत अन्य किसी प्रयोजन यथा सिंचाई एवं औद्योगिक प्रयोजन के उपयोग हेतु निषिद्ध करता हूं।
कार्रवाई के लिए नगर निगम स्टाफ और एसडीएम को जिम्मेदारी सौंपी
आदेश में कहा है कि नगर निगम और एसडीएम यह सुनिश्चित करेंगे कि पानी का उपयोग केवल पेयजल के लिए हो। इसके लिए वे निरंतर निगरानी रखेंगे। इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने का अधिकार उन्हें होगा।
निगरानी के लिए दल बनाया : कलेक्टर ने पानी की निगरानी व कार्रवाई के लिए दल गठित किया है। इसमें नगर निगम, राजस्व विभाग व विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारी रहेंगे। वे नदी में मोटर पंपों को जब्त करेंगे। आदेश का उल्लंघन सिद्ध होने पर अधिनियम की धारा 9 के तहत दो साल की कैद या दो हजार रुपए जुर्माना या दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।