पहले की तुलना में मरीज दोगुना हुए
उज्जैन। कोरोना के साइड इफेक्ट अब भी सामने आ रहे हैं। कोरोना से ठीक हो चुके मरीज के साथ में उनके परिवार के सदस्य और वे लोग भी जिन्हें कोरोना का संक्रमण तो नहीं हुआ लेकिन व्यापार नहीं चलने, आर्थिक परेशानी या कोरोना काल में अपने दोस्त या रिश्तेदार को खो दिया हो, वे भी मनोरोग के शिकार हो रहे हैं। दूसरी लहर के बाद मनोरोगी बढ़े हैं। जिला अस्पताल में पिछले एक माह में ही 1560 मरीज पहुंच चुके हैं, जिनमें पुरूषों से ज्यादा महिलाएं हैं। अप्रैल-मई के बाद से जिला अस्पताल की मनोरोग ओपीडी में 60 से 65 मरीज हर रोज आ रहे हैं।
मनोरोग चिकित्सक बताते हैं कि रोजाना आने वाले मरीजों में बड़ी संख्या उन लोगों की हैं जिनमें दूसरी बीमारियों का डर बना हुआ है। मरीज फोबिया का शिकार भी हो रहे हैं। इसके चलते मरीजों की मानसिक स्थिति बिगड़ रही है। मरीज अवसाद में जा रहे हैं, उन्हें घबराहट-बेचैनी की शिकायत पाई जा रही है।
विशेषज्ञों ने केस स्टडी में पाया है कि कोरोना में दोस्त या रिश्तेदार से नहीं मिल पाना, व्यवसाय बंद होना, नौकरी प्रभावित होना और अपनों को खो देना, यह मनोरोगी बढऩे के कारण रहे हैं। नींद नहीं आना, सिर दर्द और चक्कर, भय बना रहना, नकारात्मक विचार, हमेशा कुछ बुरा होने का एहसास होने वाले मरीज ज्यादा पाए जा रहे हैं। नए मरीज बढऩे के साथ रोज करीब 70 ऐसे मरीज पहले से हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं, जिनका पहले से इलाज चल रहा है।
करीबी को खोने का भी गम
ऐसे लोग भी इस बीमारी से ग्रसीत हो रहे हैं जिन्होंनों कोरोना काल में अपने करीबी दोस्त या रिश्तेदार को खो दिया हो। जिला अस्पताल की ओपीडी में हर रोज 60 से 65 मरीज आ रहे हैं। -
डॉ. विनित अग्रवाल, मनोरोग चिकित्सक
डायबिटीज के भी चार हजार से ज्यादा मरीज बढ़ गए
कोरोना की दूसरी लहर में ऐसे मरीज जिन्हें पहले से शुगर थी, उनमें शुगर लेवल बढ़कर 350 से 450 तक पहुंच गया और जिन मरीजों में शुगर पहले कभी नहीं थी, उन्हें भी शुगर हो गई। करोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड का ज्यादा उपयोग कोविड मरीजों के इलाज में करने से शुगर लेवल बढ़ा है। 4065 मरीजों में शुगर होना पाई गई है। जिनमें 15 से 20 प्रतिशत युवा हैं। जिले में करीब 70 हजार मरीज शुगर के थे जो बढ़कर 74065 हो गए हैं। दवाइयों के ज्यादा उपयोग होने से हार्ट के 15 प्रतिशत तक मरीज बढ़ गए हैं। कोविड व डायबिटीज विशेषज्ञों ने रिसर्च में पाया कि कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉइड का उपयोग ज्यादा हुआ है। मरीजों मे ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया होती है जो डायबिटीज को ट्रिगर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना का लाइन ऑफ ट्रीटमेंट स्टीरॉयड इंजेक्शन या टेबलेट है, जिसे मरीजों को दी जा रही है। मरीजों में शुगर लेवल बड़ा है।
मरीजों पर ये भी असर
मरीजों में शुगर बढऩे से दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ गया।
आंखों का लाल होना व यूरीन डार्क हो जाने जैसी परेशानी भी हो रही है।
लीवर व किडनी पर असर, इंफेक्शन का खतरा।
ब्लड में हाई स्तर का ब्लूरिविन की शिकायत सामने आ रही है।
सांस फूलना व थकान भी बनी हुई है।
DGR विशेष
कोरोना ने बना दिए ... एक माह में डेढ़ हजार मनोरोगी
- 27 Jul 2021