जबलपुर। कोरोना की बीमारी से मरने वालों के लिए राज्य शासन ने कई योजनाएं लागू की हैं, मुआवजे से लेकर बच्चों की मुफ्त शिक्षा और मानदेय तक की बात की गई लेकिन शासन ने कोरोना से हुई मृत्यु को प्रमाणित करने का कोई सीधा और सरल रास्ता तय नहीं किया है। यही कारण है कि वे परिजन खून के आँसू रो रहे हैं जिनके मुखिया या किसी अन्य का निधन कोरोना बीमारी के चलते हुआ है। शासन का ही नियम है कि मृत्यु प्रमाण-पत्र में मृत्यु का कारण नहीं लिखा जाए तो फिर यह साबित कैसे होगा और लोगों को मदद कैसे मिलेगी। इस संबंध में अभी तक कोई विस्तृत गाइडलाइन ही नहीं बनाई गई है। नगर निगम के साथ ही अस्पतालों से भी मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी किए जा रहे हैं लेकिन उनमें कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं होता है कि मृत्यु का कारण क्या था। इन दिनों नगर निगम में सुबह से शाम तक दर्जनों लोग भटकते नजर आते हैं। इनमें बहुत से तो वे लोग होते हैं जिनको मृत्यु प्रमाण-पत्र तो मिल गया लेकिन उनमें मौत का कारण दर्ज नहीं है तो वे ये माँग करते हैं कि निगम मौत का कारण प्रमाण-पत्र में लिखकर दे। इस मामले में निगम के कर्मचारियों का कहना होता है कि जब प्रमाण-पत्र में ऐसा कोई कॉलम ही नहीं है तो वे कैसे लिख दें। इसके अलावा बहुत बड़ी संख्या उन लोगों की होती है जो प्रमाण-पत्र बनवाने में देरी कर देते हैं।
जबलपुर
कोरोना से हुई मृत्यु को प्रमाणित करना यानी आसमान से तारे तोडऩा
- 14 Jul 2021