अमेरिकी एजेंसी ने किया दावा
मुंबई
भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई पर साल 2050 तक डूबने का खतरा मंडरा रहा है। अमेरिका की एक एजेंसी ने दावा किया है कि भारत के मुंबई और कोलकाता जैसे शहर बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं। यूएस की एजेंसी क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार, अगर कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में कटौती नहीं की गई तो भारत में 2050 तक कोलकाता, मुंबई, नवी मुंबई जैसे शहर जलमग्न हो सकते हैं। स्टडी के मुताबिक, अकेले भारत में 50 लाख के बजाए 3.5 करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं।
नए अध्ययन के अनुसार, समुद्र के बढ़ते जलस्तर से हमारी सोच से तीन गुना अधिक खतरे की आशंका है। 2050 तक दुनियाभर के 30 करोड़ लोग ऐसी जगहों पर रह रहे होंगे जो सालाना बाढ़ से डूब जाएंगे। हाई टाइड की वजह से 15 करोड़ लोगों के घर पानी में बह जाएंगे।
मंगलवार को नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में भविष्य में जलस्तर में होने वाली वृद्धि के साथ ही विश्व के बड़े हिस्सों में जनसंख्या घनत्व में वृद्धि के मौजूदा अनुमान को दर्शाया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अध्ययन पर आधारित एक खबर में कहा है कि मुंबई का ज्यादातर दक्षिणी हिस्सा 2050 तक साल में कम से कम एक बार प्रोजेक्टेड हाई टाइड लाइन से नीचे जा सकता है। प्रोजेक्टेड हाई टाइड लाइन तटीय भूमि पर वह निशान होता है जहां सबसे उच्च ज्वार साल में एक बार पहुंचता है।
वियतनाम में सबसे अधिक खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के तटीय शहरों में करीब 15 करोड़ लोग उन जगहों पर रह रहे हैं, जो सदी के मध्य में समुद्र की लहरों के नीचे होंगी। इन शहरों में जहां सबसे ज्यादा खतरा है, दक्षिणी वियतनाम उनमें सबसे ऊपर है। दक्षिणी वियतनाम की करीब एक चौथाई जनसंख्या करीब 2 करोड़ लोग साल 2050 तक इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। यहां का आर्थिक केंद्र माने जाना वाला शहर हो शी मिन्ह शहर पूरी तरह समुद्र में समा जाएगा।
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कार्बन उत्सर्जन में कटौती नहीं की गई तो 2050 तक मुंबई और कोलकाता जलमग्न
- 31 Oct 2019