सतना/पन्ना। प्रदेश में खनिया माफियाओं पर भले राज्य सरकार रोक लगाने का प्रयास करते हुए लगातार कार्रवाई करे, लेकिन इसके बाद भी अवैध खनन पर रोक पूरी तरह नहीं लग पा रही है और माफिया नए-नए रास्ते निकाल रहे हैं। हाल ही में खनिज मंत्री के जिले पन्ना में फर्जी इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजिट पास (ईटीपी ) से बड़ा घोटला सामने आया है। घोटालेबाजों ने फर्जी पोर्टल बनाकर जाली ईटीपी जारी की। खनिज माफिया ने खनिज विभाग के खनिज जैसा एक फर्जी पोर्टल ही तैयार लिया। इसके माध्यम से फर्जी ईटीपी बनाकर फर्जी क्यूआर कोड से पुलिस और मैदानी अमले को गुमराह कर रहे थे। नागौद में दो ट्रक मालिकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया है। अभी मामले की जांच चल रही है।
खनिज कारोबार में रॉयल्टी की चोरी के लिए रेत माफिया ने ई-खनिज का एक फर्जी पोर्टल ही तैयार कर लिया है। इस पोर्टल के जरिए ही फर्जी ईटीपी जेनरेट कर डंके की चोट पर रेत की चोरी की जा रही थी। बंद पड़ी रेत खदानों से विभाग की जानकारी के बगैर न केवल बालू निकाली जा रही थी, बल्कि अवैध रूप से रेत का भंडारण कर उसकी बिक्री और परिवहन भी कराया जा रहा था।
वाहनों के साथ जो ईटीपी दी जा रही थी वह स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन के पोर्टल में नजर नहीं आती थी। क्यूआर कोड स्कैन करने पर भी जो पोर्टल खुलता वह न तो माइनिंग कॉर्पोरेशन का था और न ही खनिज साधन विभाग का, लेकिन हूबहू उसकी जैसा होने की वजह से पकड़ में नहीं आता था।
खनिज मंत्री के जिले में नेटवर्क
रेत के कारोबार के जरिए सरकार को चूना लगाने का यह नेटवर्क प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के गृह जिले पन्ना में फल फूल रहा था। यूरेका माइंस एंड मिनरल के नाम पर पन्ना जिले में रेत खदानों का ठेका चला रहे रसमीत मल्होत्रा का नाम इस घोटाले में नाम आया है। पन्ना के बहेरा में फर्जी भंडारण बता कर मल्होत्रा ने रेत का पहाड़ खड़ा कर रखा है। इस स्टॉक से ही रेत की गाडिय़ां लोड हो रही थीं और फर्जी पोर्टल से तैयार जाली श्वञ्जक्क के जरिए परिवहन कर रही थीं।
ऐसे हुआ खुलासा
खनिज विभाग की टीम ने पन्ना से रेत लेकर सतना आए छतरपुर के ट्रक समेत दो वाहनों को नागौद में कुछ दिन पहले पकड़ा था। इन वाहनों के प्रकरण बनाए जाने लगे तो ट्रक मालिक ईटीपी लेकर खड़ा हो गया। सतना के प्रभारी खनिज अधिकारी सतेंद्र सिंह ने जब ईटीपी चेक कराई और उसका विवरण पोर्टल पर नहीं खुला तो प्रथमदृष्टया उन्हें लगा कि सर्वर की कठिनाई हो सकती है। लेकिन, जब ईटीपी के क्यू आर कोड को स्कैन किया गया तो खनिज अधिकारी की आंखें भी फटी रह गईं। क्यू आर कोड की स्कैनिंग के बाद एक पोर्टल खुल तो रहा था, लेकिन वह पोर्टल न तो खनिज विभाग का था और न ही स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन का था। जब उन्होंने स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन में संपर्क किया तो पता चला कि मल्होत्रा के भंडारण से ईटीपी जारी होने पर रोक लगाई गई है। ,ऐसे में प्रश्न ही नहीं उठता कि उसे पोर्टल में एक्सेस मिले। इसके बाद जांच शुरू हुई, तो मामला सामने आया है। इस मामले में और कौन-कौन शामिल हैं, इसकी जांच चल रही है।
ऐसे किया खेल
जांच की गई तो पता चला कि मल्होत्रा ने भंडारण की ईटीपी ब्लॉक होने और खदान बंद होने के बाद बेहद शातिराना योजना बनाई और इसमें टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग भी किया। उसने सरकारी पोर्टल से मिलता जुलता पोर्टल बनवाया और उसकी फंक्शनिंग भी बिल्कुल वैसी ही रखी। इसी फर्जी पोर्टल से श्वञ्जक्क जारी की जाने लगी, जिनका वास्तव में स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन अथवा खनिज विभाग से कोई वास्ता ही नहीं था। इंतजाम ऐसे दुरुस्त किए कि किसी विभाग को यह जानकारी भी न लगने पाए और कोई इस पोर्टल से जारी होने वाली जाली टीपी पकड़ भी न पाए। जो ईटीपी जारी हों वो देखने मे बिल्कुल असली ईटीपी जैसी ही हो। इसका फायदा रास्ते मे होने वाली रोकटोक से बचने के लिए उठाया जाता था, लेकिन सतना में यह पकड़ा गया।
खदान भी बंद
ईटीपी का सच जानने के लिए शुरू हुई जांच के दौरान सतना के खनिज महकमे को यह भी पता चला कि जिस खदान से रसमीत मल्होत्रा रेत निकाल कर डंप कर रहा है। उस खदान को बंद करने का आवेदन विभाग को दिया जा चुका है। बड़ा सवाल यह भी है कि जब खदान सरकारी तौर पर बंद है तो फिर मल्होत्रा आखिर किसकी शह पर खदान से रेत की चोरी कर रहा था।
DGR विशेष
खनिज मंत्री के जिले पन्ना में ... फर्जी पोर्टल से ईटीपी घोटाला, जमकर हो रहा रेत का अवैध कारोबार
- 12 Aug 2021