इंदौर के लिए मिनी मुंबई के नाम से ख्याति प्राप्त करना आसान नहीं है... इस भावना को भी समझा जा सकता है कि... मुम्बई की तरह व्यापार व्यवसाय का बोल बाला है... तो राजनीति में भी चर्चा का शहर है इंदौर... वहीं अपराध में भी शिरोमणि है यह शहर... व्यवसाय की सभी खासियतों के साथ व्यवसायिक धोखा भी जुड़ा है... प्रदेश और देश की राजनीति में भी इंदौर अपना स्थान रखता है...!
यहां का आम जीवन भी भागम भाग की तरह है... रोजन दारी से संचालित जीवन जीने वालों का भी यह शहर है... गरीबी ने भी यहां खूब पैर पसारे हैं... वही एजुकेशन हब होने के बाद भी अशिक्षा का प्रभाव साफ दिखाई देता है...!
जब इस शहर के अपराध की बात करें... तो यहां गैंगवार का भी बोलबाला रहा है... लोगों के नाम चलते थे शहर में... गुटों की गुंडागर्दी से भयभीत भी रहा है शहर... अपराध को अंजाम देने के तौर-तरीकों में बदलाव हुए हैं...यहां चोरी, लूटपाट,चैन, स्नैचिंग, अपहरण एवं अन्य का ग्राफ कभी कम नहीं रहा... छोटी-छोटी बातों पर हत्याओं का होना भी यहां आम है...अपराधी बेखौफ शहर को ख़ौफ़जदा करता रहा है... बच्चों के अपहरण हो या अन्य अपराध... कई अपराध ऐसे हैं...जिनमें आज तक परिणाम नहीं मिले हैं... फरियादी को न्याय नहीं मिला है... और अपराधी बेखौफ घूम रहा है... अपराधी अपराध करने के पहले सौ बार सोचे...कि यह शहर इंदौर है... यहां अपराध का परिणाम खौफनाक होता है... अपराधी का वह हश्र हो...कि दूसरे अपराधी सबक ले सकें... अपराध के बाद अपराधी निकल लेता है... पुलिस खोजती ही रह जाती है...अपराधी गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो जाता है... यह शहर यू तो अमन पसंद है... राजनीतिक संरक्षण में भी अपराध के संकेत रहे हैं...
आमजन सुकून और चैन से जीवन जीने को पसंद करता है... शांतिपूर्ण जीवन यापन का विश्वास शहर वासियों को मिल सके...बेखौफ महिला शहर में घूम सके...इसके लिए शहर के वातावरण में...अपराध जगत में.. खाकी का खौफ बेहद जरूरी है... लेकिन वर्तमान परिस्थितियों का अध्ययन करें तो...यही दिखाई देगा कि.. क्यों नहीं है शहर में खाकी का खौफ...?.जोकि होना चाहिए... पुलिस कमिश्नरी के चलते इसकी उम्मीद की जा सकती है... परंतु कुछ दिनों से अपराध के ग्राफ में बढ़ोतरी लग रही है...कहीं अपराध जगत... पुलिस कमिश्नर प्रणाली को चुनौती तो नहीं दे रहा है... अगर यह चुनौती है... तो खाकी को यह स्वीकार करना ही चाहिए... और इसके परिणाम में... वह कार्य प्रणाली अपनाई जाना चाहिए कि... शहर ही नहीं प्रदेश और देश का अपराध जगत भय ग्रसित हो जाए... अंदर से यह समझ आ जाए कि... इंदौर अब अब अपराध से खोफ ज़दा नहीं है... बल्कि अपराधी पर ख़ाकी का खौफ व्याप्त हो चला है... हजार बार सोचे कि... इंदौर में अपराध के बाद उसका हश्र क्या होगा... वह बच नहीं सकेगा... खाकी के खौफ के चलते अपराधी का परिणाम अंत ही होगा... वह भी भयानक तब ही शहर और देश कह सकेगा... कि इंदौर में अपराध के बाद...अपराधी की मंजिल सजाही है... तो सच मानिए... यह मुंबई का बच्चा... मिनी मुंबई... अपराधी की शरण स्थली ना होकर...भय और ताप का मुख्यालय होगा... और यह सब कुछ अब जब ही संभव है... तब की शहर में खाकी का खौफ हो...लेकिन इस खौफ से आमजन को राहत मिल सके...यह भी प्रयास होना चाहिए... अन्यथा खाकी के खौफ का कोई अर्थ नहीं होगा...!
अर्थात शहर में खाकी का खौफ होना ही चाहिए...?
एल एन उग्र
(स्वतंत्र लेखक)
DGR विशेष
खाकी का खौफ...?
- 20 Dec 2021