पार्षद पदों के प्रत्याशी चयन को लेकर दोनों दलों में एक जैसी स्थिति
इंदौर। भाजपा ने महापौर पद के लिए अभी तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, जबकि कांग्रेस ने इस पद पर संजय शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है, जिन्होंने अपने समर्थकों के साथ मैदान भी संभाल लिया है। उधर, भाजपा के महापौर प्रत्याशी के लिए जद्दोजहर मंगलवार को भी चलती रही। हालांकि पार्षद पदों के लिए दोनों ही दलों में लगभग एक जैसी स्थिति है और एक दो या दस नहीं, बल्कि अनेक दावेदार सामने आ रहे हैं, जो किसी न किसी तरह टिकट हासिल करना चाहते हैें।
इन सबके साथ भीषण गर्मी में अब सियासी पारा भी तेजी से बढऩे लगा है। भाजपा और कांग्रेस में इस पारे का असर देखने को मिल रहा है। वहीं कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी संजय शुक्ला ने चुनावी मैदान संभालते हुए अपना जनसम्पर्क अभियान का श्रीगणेश शुरु कर दिया है। जिला पंचायत और जनपदों के लिए भाजपा ने अपने समर्थक प्रत्याशियों की सूची समय से जारी कर दी, जबकि शहर में निगम महापौर पद के प्रत्याशी के लिए संगठन में असंमजस की स्थिति बनी हुई है। वही दूसरी और कांग्रेस की स्थिति इससे एकदम उलट है। कांग्रेस ने चुनाव घोषित होते ही इंदौर से विधायक संजय शुक्ला का नाम महापौर के लिए घोषित कर दिया। कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने शहर के सबसे बड़े कपड़ा बाजार एमटी क्लाथ मार्केट में पहुंचकर अपने अनौपचारिक जनसम्पर्क अभियान का श्रीगणेश करने के बाद मगंलवार को उन्होने यशोदा माता मंदिर से पीपली बाजार, सराफा, बर्तन बाजार, मारोठिया बाजार तथा सांठा बाजार के व्यापारियों से मिलने पहुंचे। उन्होंने अपने जनसम्पर्क अभियान के दौरान व्यापारियों से उनकी समस्याएं पूछी।
भाजपा संगठन उलझन में
निगम चुनाव को लेकर भाजपा के बड़े नेता बुरी तरह उलझन में हैं कि किसे टिकट दें और किसे नहीं । इसे लेकर कोई फैसला नहीं हो पा रहा है। जो नेता इस पद के लिए दावेदारी जता रहे हैं वह अपने आपमें कोई किसी को कम नहीं आंक रहा है। पिछले दिनों प्रदेश दौरे पर आए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संगठन के पदाधिकारियों की बैठक में कुछ ऐसे संकेत दे गए है जिससे संगठन को इस जटिल कार्य को निपटाने में काफी मशक्कत करना पड़ रही है। इसे लेकर 9 जून को संगठन की बड़ी बैठक भोपाल में होने जा रही है।
... तो टूट जाएंगे सपने
भाजपा में निगम चुनाव को लेकर कई नियम बना दिए गए हैं, जैसे सांसद और विधायकों को टिकिट नहीं देना , महापौर (60 साल) और पार्षद (50 साल) के लिए उम्र का बंधन रखा जाए, परिवारवाद नहीं चलने दे, नए चेहरों को सामने लाए तथा इसके अलावा महापौर के चयन के लिए तीन लेयर रखी जाए। इस सभी मामलों को लेकर अगर बैठक में ये सारे नियम लागू हो गए तो महापौर और पार्षद पद के दावेदारों के सपने टूट जाएंगे। बताया गया है कि संगठन युवाओं को अधिक से अधिक टिकिट देने पर विचार कर रहा है। अगर ऐसा हुआ तो 60 साल पार कर चुके महापौर पद के दावेदारों का क्या होगा। यहीं स्थिति पार्षदों के साथ बन सकती है। 50 या इससे अधिक उम्र वाले सैकड़ों दावेदार लाइन में लगे हुए है। अगर एजे फैक्टर लागत्ू हो गया तो महापौर और पार्षद का चुनाव लडऩे का मन बना चुके दावेदारों का सपना चूर चूर हो जाएंगे।
DGR विशेष
गर्मी के बीच शहर का सियासी पारा भी तेजी से बढ़ा, महापौर प्रत्याशी के लिए भाजपा नहीं ले पा रही निर्णय, कांग्रेस ने संभाला मैदान
- 08 Jun 2022