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इंदौर

गहोई वैश्य समाज के मध्यस्थता केंद्र का शुभारम्भ

  • 17 Feb 2022

इंदौर। गहोई वैश्य समाज का मध्यस्थता केंद्र (राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत मेडिएशन सेण्टर) का शुभारम्भ  पूर्व जिला सत्र न्यायधीश शमीम मोहम्मद द्वारा गहोई समाज के ऑफिस ४१४, मानस भवन RNT मार्ग इंदौर पर समाज के संरक्षक श्री अनिल खरिआ व् श्री जगदीश छिरोलिया के आथित्य में किया गय।  कार्यक्रम की अध्य्क्षता इंदौर गहोई समाज के अध्य्क्ष श्री जे के सराफ ने की व्  संचालन समाज सचिव श्री प्रवीण नीखरा ने किया। 
मध्यस्थता केंद्र के कोऑर्डिनेटर श्री राजेश लोहिया ने मध्यस्थता केंद्र विषय पर शुरुआती  प्रकाश डालते हुए बताया  की उच्च न्यायलय इंदौर बेंच द्वारा संचालित प्रशिक्षण प्राप्त समाज के ४ स्वयं सेवक श्री जे के सराफ, श्री प्रवीण नीखरा, श्रीमति वंदना रावत व् श्रीमति निधि नीखरा प्रत्येक शनिवार व् आवश्यक होने पर अन्य दिनों भी केंद्र पर बैठ कर निष्पक्ष व् निशुल्क तथा श्रीघ्रगता से समाज जनों के आपसी विवाद व् मनमुटाव का निदान करेंगे।  मध्यस्थता में गोपनीयता की विशेष भूमिका है। मध्यस्थता की पूरी कारवाही गोपनीय रहती है व् इस दरमियान किसी भी पक्षकार की अभिव्यक्ति को कानूनी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुति प्रतिबंधित है। 
श्री राजेश लोहिया आज के समय में मध्यस्थता की आवश्यकता को हाईलाइट करते हुए कहा की ADR  (Alternate Dispute Resolution )  के मुख्यतः चार  घटक हैं : आर्बिट्रेशन, कॉंसिलिएशन नेगोसिएशन व्  मेडिएशन।  ये सभी कोर्ट के बाहर ही विवाद को निपटने में सक्षम हैं।  इसमें सबसे सस्ता सुलभ कम समय में मानसिक शांति देने वाला रास्ता मध्यस्थता यानि मेडिएशन का है जिसमे प्रशिक्षित मध्स्थ गोपनीयता बनाये हुए आभासी समस्याओं का स्वयं के तार्किक समन्वय से दोनों पक्षों को आपसी सहमती के रास्ते समाधान तक पहुँचाते हैं।  श्री लोहिया ने बताया की मध्यस्थता में नेचुरल जस्टिस व् गोपनियता का पूरा पूरा ध्यान रखा जाता है यह पूर्णतः निशुल्क सामाजिक सेवा है व् मीडिएटर का कार्य करने वाले स्वयं सेवक की जवाबदारियां जिम्मवारिया कहीं ज्यादा है। 
पूर्व सत्र न्यायधीश मोहम्मद शमीम ने सभी उपस्थित गणों को सम्बोधित करते हुए कहा की समाज की तरक्की के लिए जरूरी है कम से कम विवाद की स्थितियां बने व्  मनमुटावों को गंभीर बनने के पहिले ही निपटाया जाये।  कोई भी व्यक्ति उच्च न्यायालय अथवा जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा विहित स्थान अथवा ऐसे स्थान पर जहाँ सभी पक्षकार तथा मध्यस्थ/समाधानकत्र्ता संयुक्त रूप से सहमत हों मध्यस्थ/समाधान कार्यवाही द्वारा समाधान प्राप्त कर सकता है; सुलहकर्ता पक्षकारों के साथ संयुक्त रूप से अथवा पृथक- पृथक बैठकें कर पक्षकारों को  समझौते की तरफ अग्रसर करवान में सक्षम हो जाते हैं।
चर्चाओं से यह भी विदित हुआ की  विवादों को न्यायालय के बाहर समाप्त करने के उद्देश्य से मध्‍यस्‍थता का प्रावधान है कि विवादों को सुलह के माध्यम से निपटाने का प्रयास करना आवश्यक है जिससे समय व् धन की बचत हो। इसके द्वारा मध्‍यस्‍थता के नियमों को समेकित किया गया है तथा उन्हें सूचित भी किया गया है। इस अधिनियम के पीछे मूल उद्देश्य है कि अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय, प्रादेशिक विवादों को सुलझाने में मध्‍यस्‍थता के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। यह भी जिक्र आया की पार्लियामेंट में The Mediation Bill २०२१ अभी पारित होना बाकी ह।  इस अधिनियम अंतरराष्ट्रीय मध्‍यस्‍थता प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इस अधिनियम में कुल 86 धाराएं हैं तथा जिसे अलग-अलग भागों में बांटा गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत 3 अनुसूचियां भी शामिल की गई हैं। इसके पहले के मध्‍यस्‍थता अधिनियम में अंतरराष्ट्रीय मध्‍यस्‍थता संबंधी कोई प्रावधान नहीं था। वह सिर्फ घरेलू मध्‍यस्‍थता तक ही सीमित था। इस विधि को अधिक स्पष्ट किया गया है। इस अधिनियम के द्वारा मध्‍यस्‍थता न्यायाधिकरण की परिकल्पना की गई है। संविधानिक माध्यस्थ को न्यायाधिकरण का दर्जा दिया गया है। इस अधिनियम द्वारा विदेशी तथा अंतरराष्ट्रीय मध्‍यस्‍थता के चुनाव संबंधी विस्तृत प्रक्रिया को उल्लेखित किया गया है। यह अधिनियम के द्वारा प्रथम बार सुलह की प्रक्रिया को मान्यता प्रदान की गई है। इस अधिनियम के द्वारा सुलह की कार्यवाही को अन्य कार्यवाही में स्वीकार योग्य बनाया गया है। समाज के अग्रीण कार्यकर्ता श्री मुकेश बिलेया ने कार्यक्रम के समापन पर सभी आगंतुकों व् अथितियों का आभार व्यक्त किया।