Highlights

भोपाल

गांवों की सरकार के लिए ... 14 जिलों में फंसा पेंच, जोड़-तोड़ शुरू

  • 15 Jul 2022

सीएम के गृह जिले सीहोर में कांग्रेस से कांटे की टक्कर; जबलपुर में बीजेपी हारी
भोपाल। मध्य प्रदेश के गांवों में सरकार किसकी होगी? इसके नतीजे आने लगे हैं। 52 जिलों में जिला पंचायत सदस्यों को मिले वोट के आधार पर आ रहे रुझानों में इंदौर-ग्वालियर समेत 25 जिला पंचायतों में बीजेपी का कब्जा होना तय माना जा रहा है। जबकि कांग्रेस को भोपाल-जबलपुर समेत 11 जिलों में बढ़त है। 14 सीटों पर पेंच फंसा है। यहां जोड़-तोड़ का खेल भी शुरू हो गया है। दो जिले भिंड-मुरैना में काउंटिंग पूरी नहीं होने से तस्वीर साफ नहीं हुई है। कई जिलों में बड़ा उलटफेर होने की संभावना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में बीजेपी और कांग्रेस का कड़ा मुकाबला है।
15 जिला पंचायतों में भाजपा पिछड़ी है। जबकि कांग्रेस को 1 सीट पर बढ़त मिलती दिख रही है। शेष 14 में कांटे की टक्कर बताई जा रही है। इंदोर व ग्वालियर में बीजेपी और भोपाल में कांग्रेस ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। जबकि जबलपुर को कांग्रेस ने बीजेपी से छीन लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में बीजेपी और कांग्रेस का कड़ा मुकाबला है। इस जिले में जिला पंचायत सदस्य की 17 सीटें हैं। इसमें से दोनों ही दलों के समर्थन वाले 7-7 सदस्य चुनाव जीते हैं। जबकि प्रजातांत्रिक पार्टी के कमल सिंह सबसे ज्यादा वोट लेकर आगे हैं। वहीं वार्ड 11 से डॉ. सुरेश और वार्ड 6 से जीवन सिंह भाजपा के दिग्गजों को हराकर चुनाव जीते हैं, लेकिन ये दोनों ही भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। इस वजह से भाजपा का पलड़ा भारी माना जा रहा है।
रीवा में कांग्रेस आगे, निर्दलीयों पर दारोमदार
रीवा में कांग्रेस के सदस्य ज्यादा जीते हैं। बावजूद इसके निर्दलीय जिसे समर्थन देंगे, उसका अध्यक्ष बनेगा। यहां अब तक बीजेपी का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार यहां से बीजेपी समर्थित केवल 8 उम्मीदवार ही जीते हैं। जबकि कांग्रेस के 12 सदस्य बनते दिख रहे हैं। रीवा जिला पंचायत में 32 सदस्य हैं। इसमें से 12 निर्दलीय जीते हैं। ऐसे में साफ है कि निर्दलीयों को अपने पक्ष में करने की जोड़तोड़ दोनों ही दल करेंगे।
दमोह में निर्दलीय तय करेंगे, कौन होगा अध्यक्ष
दमोह जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भाजपा और कांग्रेस को निर्दलीयों की कृपा पर निर्भर रहना पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही दल बहुमत के नजदीक भी नहीं पहुंच पाए हैं। किसी भी पार्टी को अपना अध्यक्ष बनाने के लिए 15 जिला सदस्यों में से कम से कम 8 का समर्थन लेना होगा। यहां से केवल 4 प्रत्याशी स्पष्ट तौर पर भाजपा के हैं। जबकि कांगेस समर्थित 5 उम्मीदवार जीतते दिख रहे हैं। जबकि छह उम्मीदवार सदस्य बनेंगे। ऐसे में अध्यक्ष बनाने के लिए बीजेपी को 4 और कांग्रेस को 3 सदस्यों का समर्थन चाहिए। दमोह जिला पंचायत अध्यक्ष पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है। यहां पर अध्यक्ष पद की दौड़ में वर्तमान में रीना रानी धर्मेंद्र पटेल और जानकी चंद्रभान सिंह अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। यदि जानकी चंद्रभान सिंह अध्यक्ष पद की दावेदारी करते हैं, तो इन्हें उनके भाई चंदन सिंह का समर्थन मिल जाएगा और दृगपाल लोधी भी भाजपा को अपना समर्थन दे सकते हैं। इसके बाद भी भाजपा को दो निर्दलीय सदस्यों का सहारा लेना पड़ेगा, लेकिन चंद्रभान की दावेदारी नहीं होती, तो भाजपा को चार सदस्य की जरूरत होगी। कांग्रेस में अध्यक्ष पद की दौड़ में रंजीता गौरव पटेल, विनीता बृजेंद्र सिंह लोधी और जमुना बाई देशराज लोधी का नाम सामने हैं।
सागर में 26 में से 15 सीटों पर बीजेपी
सागर जिला पंचायत में बीजेपी अपना कब्जा बरकरार रख सकती है। यहां की 26 जिला पंचायत सीटों में से अब तक सामने आए परिणामों में 15 पर भाजपा का कब्जा है। वहीं 6 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई है। 5 सीटों के परिणाम स्पष्ट नहीं हुए हैं। बावजूद इसके अध्यक्ष के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह के भाई हीरासिंह राजपूत नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों को साधने की जुगत में लग गए हैं।
रतलाम में रुकमणि या लाला बाई बनेंगी अध्यक्ष
रतलाम जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा की लाला बाई और रुकमणी मालवीय से कोई एक का निर्वाचन होना तय हो चुका है। यहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद एससी महिला वर्ग के लिए आरक्षित है। कुल निर्वाचित हुए सदस्यों में से इस वर्ग में यही दो महिलाएं आती हैं। दोनों ही उम्मीदवारों का संबंध बीजेपी से है। इस आधार पर रतलाम जिला पंचायत में भाजपा का कब्जा होना लगभग तय माना जा रहा है।
गुना में बीजेपी का कब्जा रहेगा बरकरार
जिला पंचायत सदस्यों की बात करें तो 18 वार्डों में से 12 में भाजपा बढ़त बनाती दिख रही है। इन 12 में से 4 सिंधिया समर्थक प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। वहीं 5 पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी बढ़त बना रहे हैं। एक निर्दलीय उम्मीदवार भी आगे चल रहे हैं। यह लगभग तय माना जा रहा है कि जिला पंचायत में भाजपा का बोर्ड बनने जा रहा है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि अगर कोई बहुत बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो अध्यक्ष भी भाजपा का ही बनेगा। भाजपा के 5 प्रत्याशी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। इस बार अध्यक्ष पद ह्रक्चष्ट के लिए आरक्षित हुआ है।
नर्मदापुरम में अध्यक्ष की कुर्सी बीजेपी को मिलेगी
नर्मदापुरम जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बीजेपी को मिलना लगभग तय है। हालांकि कांग्रेस नेता भी दावा कर रहे हैं। जिला के 15 सदस्यों में से 10 सदस्यों पर बीजेपी अपना दावा कर रही। कांग्रेस भी 3-4 पर दावा कर रही। जिला पंचायत के अध्यक्ष को लेकर स्थिति साफ हो रही कि भाजपा समर्थित प्रत्याशी की अध्यक्ष सीट होगी।
इन जिलों में भी है कांटे की टक्कर
शिवपुरी, सतना, टीकमगढ़, धार, मंडला, मंदसौर, शहडोल, सीधी, आगर मालवा, खरगोन व छतरपुर में कांटे का मुकाबला है। जबकि दो जिलों मुरैना और भिंड में मतगणना पूरी नहीं हुई है।
2015 में बीजेपी के 40 व कांग्रेस के 10 जिलों में थे अध्यक्ष
7 साल पहले हुए पंचायत चुनाव की बात करें तो क्चछ्वक्क 40 जिला पंचायत बोर्ड में सरकार बनाने में कामयाब रही थी। कांग्रेस को 10 जिलों में जीत मिली थी। तब प्रदेश में 51 ही जिले थे। इस बार निवाड़ी भी जुड़ गया है। टीकमगढ़ की तहसील रहे निवाड़ी को 2018 में जिला बनाया गया था। यानी इस बार कांग्रेस, क्चछ्वक्क को पिछली जीत रिपीट करने के लिए कड़ी फाइट दे रही है। पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस 11 जिलों पर लगभग कब्जा कर चुकी है। अब जो भी जिले उसके खाते में आएंगे, वो प्लस पॉइंट ही होंगे।
कमलनाथ के गढ़ में कांग्रेस आगे
कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस आगे है। यहां 26 सदस्यीय जिला पंचायत की 12 कांग्रेस और 11 भाजपा ने जीती है, लेकिन अपना अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस को 2 और सदस्यों की जरूरत होगी। यहां 2 निर्दलीय और 1 सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं। यहां निर्दलीयों को अपने-अपने खेमे में मिलाने के लिए कांग्रेस और भाजपा में रस्साकशी होनी तय है।