इंदौर। दो नाजूक दौर के बाद आम लोगों की एक तरह से आर्थिक रूप से कमर टूट गई है, उपर से सुरसा के मुंह की तरह हर तरफ बढ़ती महंगाई ने गरीब, मध्यम यहां तक उच्च मध्यम वर्ग को भी प्रभावित किया है। अब निजी चिकित्सकों ने फीस वृद्धि ने जरूरतमंदों को हलाकान कर दिया है। दरअसल शहर व अंचल में निजी प्रेक्ट्रीस करने वाले अधिसंख्य चिकित्सकों ने अपनी ओपीडी फीस में 25 से लेकर 50 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी कर दी है। वह भी अधिकांश एक पखवाड़े के लिए उसके बाद आपको दोबारा फीस देनी है। इस कारण खासकर मध्यमवर्गीय वर्ग से जुड़े मरीजों व उनके परिजनों में खासी सुगबुगाहट है। खास बात यह है अधिकांश निजी चिकित्सकों के चेंबर के बाहर स्थित दवा दुकानों से ही दवाई खरीदना होती है, लिहाजा इस दौर में मामली सर्दी- खांसी व वायरल आदि से परेशान के लिए हजार - दो हजार रूपए मामूली बात है। कई बुद्धिजीवियों का कहना है कितनी फीस लेना ना लेना निजी चिकित्सकों का अपना विवेकाधिकार है, डाक्टर्स को भगवान का दर्जा है, कोरोना काल में उन्हें बड़े वारियर्स के रूप में सम्मान मिला। वर्तमान समय व लोगों की आर्थिक जद्दोजहद को देखते हुए सेवाभाव रखने वाले चिकित्सकों को बढ़ी हुई फीस वृद्धि पर पुनविचार करना चाहिए। शहर व आस - पास बड़ी संख्या में सेवाएं देते है, कई के पास तो एक ही दिन में पचास से सौ तक परामर्श के लिए आते है, जबकि निजी परिसर तक भेजने पर शुल्क दुगना लगाया जाता है। बताया जाता है दो दर्जन की रोज की आमदानी ही 25 से एक पेटी तक है, जबकि इतने ही दस रोज क्रास करते है, जबकि परिसर से भी खासी आमदानी है, लेकिन आयकर सहित अन्य टेक्स को लेकर हम पेशा में ही चटखारें है। दो नाजूक दौर के बाद तीन दर्जन का रियल एस्टेट में लंबा इन्वेस्टमेंट सुन सोचकर हैरान कर देने वाला है।
इंदौर
चिकित्सकों की फीस वृद्धि ने किया हलाकान
- 25 Aug 2021