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विविध क्षेत्र

चुनावी घोषणा और मतदाता...?

  • 04 Mar 2022

एल .एन. उग्र
पांच राज्यों में चुनाव प्रक्रिया जारी है, चुनाव का अर्थ अपने क्षेत्र का प्रतिनिधि चुनना, जो आपके लिए,क्षेत्र के लिए, प्रदेश के लिए विकास कर सके । अभी तक के चुनाव परिणामों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के जीवन पर अध्ययन करें तो हम महसूस करेंगे कि क्षेत्र का विकास हो ना हो, उनका विकास बहुत तेजी से होता है । जो राजनेता साइकिल के भी मोहताज होते थे, वे चुनाव बाद कारों में नजर आते हैं । फिर तो वे मतदाता और क्षेत्र को ही भूल जाते हैं,यही विकास की परिभाषा है ।  फिलहाल चुनावी माहौल में अनेक राज्यों के अनेक दलों द्वारा चुनावी रणनीति में,बोल बचन का हल्कापन चुनाव की तरह ही देखने को मिल रहा है  । एक दूसरे पर छींटाकशी हद दर्जे तक की जा रही है । ना बोलने की कोई मर्यादा ना मान ना सम्मान बस है तो बोलने की अभिव्यक्ति गर्व की है,सबसे हल्की भाषा का प्रयोग कौन  कर पाए ।इधर इन सब के बीच राजनीतिक दलों ने घोषणाओं का पिटारा खोल दिया है ।  हर कोई दल बस यही कह रहा है कि, हमारी सरकार बना दो, अगर बना दी तो हम यह जादू कर देंगे, यह आसमान के चांद सितारों को आपके कदमों में डाल देंगे,यहां से वहां तक यह विकास का देंगे,वह विकास कर देंगे,यहां ठीक से चलने को जगह नहीं है, वहां रेल तथा  हवाई जहाज उड़ा देंगे । वाह रे घोषणा वीर राजनीतिक दलों की महिमा । हमारा यह कहना है कि आप घोषणा ये मत करो कि यदि हमारी सरकार बनी तो हम यह कर देंगे । आप घोषणा यह करो कि यदि हमारी सरकार बनी तो, हमारा राजनीतिक दल यह करेगा । परंतु यह नहीं होता है, "नग्न राजा किले में घर " । खुद के     फाक्ते के चलते शहर में भंडारा कराने की घोषणा जैसा ही है । कोई भी दल अपने दम पर नहीं, सरकार के दम,पर यानी कि जनता के ही टैक्स का पैसा, जनता को ही  मूर्ख बना कर लौटाने  की और उसी में से राजनीतिक रोटियां सेकने की पूरी योजना नेताओं ने बनाई हुई है ।  हर चुनाव के दौरान यही होता है । जब भी चुनाव होता है, तो घोषणाओं का पिटारा कैसे खोला जाता है, ऐसे खुल जाता है जैसे यह सब अपने पैतृक संपत्ति से पूरे करने वाले हैं । इन सबके बीच मतदाता की भूमिका सिर्फ एक वोट देने तक की रहती है, वोट देने के बाद 5 साल तक उसका कोई काम नहीं होता है । ऐसे में चुनावी घोषणा और मतदाता एक दूसरे के पूरक होकर रह गए हैं ।