जम्मू। स्पेशल मोबाइल मजिस्ट्रेट के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की याचिका खारिज करते हुए प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि जज के खिलाफ अदालत दीवानी या फौजदारी किसी भी मामले की याचिका का संज्ञान नहीं ले सकती।
जज (संरक्षण) अधिनियम, 1985 की धारा 3 का हवाला देकर श्रीनगर जिला कोर्ट के प्रथम अतिरिक्त सेशन जज अजय गुप्ता ने कहा कि कानूनी प्रावधानों के दायरे में रहकर ही अदालतें काम करती हैं। अधिनियम की धारा में स्पष्ट है कि जज के खिलाफ याचिका पर अदालतें कार्रवाई नहीं कर सकतीं। शुक्रवार को इसी कानूनी व्याख्या के साथ प्रोफेसर अब्दुल गनी भट्ट की याचिका को खारिज कर दिया। याची ने स्पेशल मोबाइल मैजिस्ट्रेट के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रिसाइडिंग अधिकारी ने जो भी आदेश पारित किया है, वह मामले में कार्यवाही के दौरान पारित किया गया है। धारा 3 के तहत कोर्ट को अधिकार नहीं है कि इसमें कोई कार्रवाई करें।
साभार अमर उजाला
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जम्मू-कश्मीर : जजों पर किसी भी मामले में कार्रवाई का अधिकार अदालतों के पास नहीं
- 21 Aug 2021