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व्यक्तित्व विशेष

जयंत विष्णु नार्लीकर

  • 19 Jul 2022

(जन्म- 19 जुलाई, 1938, कोल्हापुर, महाराष्ट्र) 
प्रसिद्ध भारतीय भौतिकीय वैज्ञानिक हैं। वह ब्रह्माण्ड के स्थिर अवस्था सिद्धान्त के विशेषज्ञ और फ्रेड हॉयल के साथ भौतिकी के हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त के प्रतिपादक भी हैं। उन्होंने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए अंग्रेज़ी, हिन्दी और मराठी में अनेक पुस्तकें लिखी हैं। जयंत विष्णु नार्लीकर का जन्म 19 जुलाई, 1938 को कोल्हापुर, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता विष्णु वासुदेव नार्लीकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में गणित विभाग के अध्यक्ष थे, इसलिए उनकी शिक्षा-दीक्षा भी वहीं से हुई। उन्होंने 1963 में गणित में पी-एच. डी. की डिग्री हासिल की। बाद में खगोल-भौतिकी में उनकी रूचि बढ़ी और उन्होंने उसमें प्रवीणता हासिल की। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति विशाल विस्फोट  के द्वारा हुई थी। इसके साथ साथ ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में एक और सिद्धान्त प्रतिपादित है, जिसका नाम स्थायी अवस्था सिद्धान्त (Steady State Theory) है। इस सिद्धान्त के जनक फ्रेड हॉयल हैं। अपने इंग्लैंड के प्रवास के दौरान, नार्लीकर ने इस सिद्धान्त पर फ्रेड हॉयल के साथ काम किया। इसके साथ ही उन्होंने आइंस्टीन के आपेक्षिकता सिद्धान्त और माक सिद्धान्त को मिलाते हुए हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। वह 1963 से 1972 तक किंग्स कॉलेज के फेलो रहे और 1966 से 1972 तक इंस्टीट्यूट ऑफ़ थिओरेटिकल एस्ट्रोनामी के संस्थापक सदस्य के रूप में जुड़े रहे। 1970 के दशक में नार्लीकर भारतवर्ष वापस लौट आये और टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान में कार्य करने लगे। 1988 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा उन्हे खगोलशास्त्र एवं खगोलभौतिकी अन्तरविश्वविद्यालय केन्द्र स्थापित करने का कार्य सौंपा गया। उन्होने यहाँ से 2003 में अवकाश ग्रहण कर लिया। अब वे वहीं प्रतिष्ठित अध्यापक हैं।