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भोपाल

जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हुए वहां कांग्रेस के बड़े नेताओं को दिया संगठन मजबूत करने का जिम्मा

  • 01 May 2023

भोपाल। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के क्रम में कांग्रेस उन 28 सीटों पर खास ध्यान दे रही है, जहां तीन साल पहले कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इन सीटों पर कांग्रेस संगठन कमजोर है। लिहाजा, पार्टी यहां स्थिति मजबूत करने में लगी है।
यहां जिला और जनपद पंचायतों में जीते भाजपा से जुड़े लोग पीसीसी चीफ कमलनाथ से टिकट को लेकर मिल रहे हैं लेकिन नाथ ने साफ कर दिया है कि पहले विधानसभा सीट के प्रभारी से फीडबैक लिया जाएगा, उसके बाद स्थानीय कांग्रेसियों की राय जानी जाएगी, तभी इन्हें पार्टी में शामिल करेंगे।
अरुण यादव बुंदेलखंड में सक्रिय, पटवारी के पास रायसेन जिले की जिम्मेदारी
ग्वालियर-चंबल में जौरा, मेहगांव, भांडेर, पोहरी, कोलारस, बमोरी, अशोकनगर विधानसभा सीटों पर जिला पंचायत और जनपद सदस्य कांग्रेस में आना चाहते हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, विधायक जयवद्र्धन सिंह, केपी सिंह, फूल सिंह बरैया आदि के फीडबैक के बाद ही ये फाइनल होगा। मुंगावली से 3 बार विधायक रहे स्व. देशराज यादव के बेटे यादवेंद्र सिंह भाजपा से कांग्रेस में आ चुके हैं। सागर के सुरखी में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव से भाजपा से आने वालों के संबंध में फीडबैक लिया जा रहा है। यादव स्थानीय नेताओं के साथ अन्य दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। उन्हेें छतरपुर की मलहरा सीट का जिम्मा भी दिया है। रायसेन की चारों सीटों का जिम्मा विधायक जीतू पटवारी का है।
किस सीट पर किस नेता को जिम्मा
अनूपपुर सीट पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को भेजा गया है।
हाटपिपल्या में संगठन मजबूत करने और फीडबैक के लिए पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और लाखन सिंह यादव को जिम्मेदारी दी गई है।
खंडवा जिले के मांधाता और बुरहानपुर जिले की नेपानगर सीट पर विधायक बाला बच्चन को फीडबैक लेने भेजा गया है। बदनावर सीट भी उन्हें दी गई है।
जोबट में कांतिलाल भूरिया और मीनाक्षी नटराजन को भेजा गया है। यहां विधायक रवि जोशी से भी फीडबैक लिया जा रहा है।
मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट की जिम्मेदारी विधायक कमलेश्वर पटेल को दी गई है। उन्हें नीमच जिला भी दिया गया है। इन दोनों जिलों में कांग्रेस का अभी एक भी विधायक नहीं है।
सांवेर सीट पर जयवद्र्धन सिंह से फीडबैक लिया जा रहा है, उनके पास इंदौर-उज्जैन की जिम्मेदारी है।
जयवद्र्धन से ग्वालियर-चंबल, बाला बच्चन से खंडवा-बुरहानपुर का लेंगे फीडबैक
यहां वजूद ही खतरे में
ग्वालियर शहर से विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर राज्य सरकार में मंत्री है। वे 2020 में तख्तापलट में भाजपा में चले गए थे। इसी तरह सांची से विधायक प्रभुराम चौधरी भाजपा में शामिल होने के बाद सबसे ज्यादा मतों से चुनाव जीतकर मंत्री बने। चौधरी के साथ बड़ी संख्या में कांग्रेसी भाजपा में शामिल हो गए हैं। यहां कांग्रेस के सामने अस्तित्व का संकट है। सुरखी में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के सामने कांग्रेस कोई चुनौती खड़ी नहीं कर पाई है। ऐसी ही स्थिति सांवेर से विधायक व मंत्री तुलसीराम सिलावट, बमोरी से विधायक और मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया, बदनावर से राजवद्र्धन सिंह दत्तीगांव और सुवासरा से मंत्री हरदीप सिंह डंग की सीट पर है।