भोपाल (। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद से जो लड़ाई अब तक परदे के पीछे चल रही थी, वो अब खुलकर सामने आ गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक-दूसरे के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है। पहली बार दिग्विजय सिंह के गढ़ राघौगढ़ पहुंचकर सिंधिया ने उनके कट्टर समर्थक पूर्व विधायक स्वर्गीय मूल सिंह के बेटे हीरेंद्र सिंह को भाजपा की सदस्यता दिलाकर इरादे साफ कर दिए। वहीं, दिग्विजय सिंह ने मधुसूदनगढ़ पहुंचकर पलटवार किया। सिंधिया को कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि कांग्रेस से गद्दारी करके विधानसभा सदस्यों को साथ ले गए।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच जिस तरह से शब्दबाण चल रहे हैं, उससे साफ है कि परिस्थितियां बदल चुकी हैं। अभी तक न तो दिग्विजय सिंह सिंधिया के खिलाफ खुलकर कुछ बोलते थे और न ही ज्योतिरादित्य सिंधिया लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से स्थितियां बदल गई हैं। सिंधिया के चुनाव हारने का बड़ा कारण भितरघात को माना गया। सब जानते हैं कि दिग्विजय सिंह का क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद भी सिंधिया की पूछपरख नहीं हुई। उनके समर्थकों को मंत्री तो बनाया गया पर कोई अधिकार नहीं दिए गए।
फरवरी 2020 में दिग्विजय सिंह ने खींचतान को समाप्त करने के लिए सिंधिया से गुना में मुलाकात का प्रयास भी किया था लेकिन नहीं हो पाई। इसके बाद सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली। उनके समर्थक विधायकों ने भी कांग्रेस से किनारा कर लिया। कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और अंतत: कमल नाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
उधर, भाजपा की सरकार बनने के बाद सिंधिया समर्थक मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने राघौगढ़ के दौरे करके आमने-सामने की लड़ाई के संकेत दिए थे। सिंधिया ने जब मंच से दिग्विजय सिंह के समर्थक हीरेन्द्र सिंह को भाजपा की सदस्यता दिलाई तो इस पर मोहर भी लग गई। इसे सिंधिया का सीधा हमला माना जा रहा है क्योंकि हीरेन्द्र सिंह पूर्व विधायक स्वर्गीय मूल सिंह के पुत्र हैं जिन्हें दिग्विजय सिंह के परिवार का हिस्सा माना जाता है। उन्होंने दिग्विजय सिंह का नाम जरूर नहीं लिया पर साफ संकेत दे दिए हैं कि अब सीधा अब कोई समझौता नहीं होगा। उधर, सिसोदिया ने साफ कर दिया कि आगामी चुनाव में सिंधिया का आर्शीवाद मिलने से हीरेन्द्र सिंह का घोड़ा अब सीधे राघौगढ़ किले की ओर जाने वाला है।
मतलब साफ है कि राघौगढ़ विधानसभा से हीरेन्द्र सिंह भाजपा का चेहरा होंगे। यहां दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह विधायक हैं यानी मुकाबला आमने-सामने का होगा। यही वजह है कि मधुसूदनढ़, चाचौड़ा और लटेरी में दिग्विजय सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि गद्दारी एक व्यक्ति करता है तो उसकी पीढ़ी दर पीढ़ी गद्दारी करती है। इतिहास इस बात का साक्षी है। संकेत साफ हैं कि बात वार-प्रतिवार से आगे निकल चुकी है।
दिग्विजय किसी भ्रम में न रहें- सिसोदिया
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि अभी चुनाव बहुत दूर हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया का तो अभी एक दौरा ही हुआ है और उनके समर्थक भाजपा में शामिल हो गए। दिग्विजय सिंह किसी भ्रम में न रहें। वहीं, कांग्रेस के महामंत्री (मीडिया) केके मिश्रा ने कहा कि भले ही भाजपा भूल गई हो पर इतिहास को मिटाया नहीं जा सकता है। राघौगढ़ हो या प्रदेश का अन्य कोई क्षेत्र जनता सरकार गिराने की हकीकत जानती है।
भोपाल
जो लड़ाई परदे के पीछे चल रही थी, वो सामने आई ... सिंधिया-दिग्विजय ने एक-दूसरे के खिलाफ अब खोला सीधा मोर्चा
- 06 Dec 2021