भोपाल। रेप के मामलों में जहां आरोपी को सजा होती है, वहीं पीडि़ता को मुआवजा भी दिया जाता है। इसे देखते हुए कुछ लोगों ने गिरोह बना लिया है, जो झूठी शिकायत कर रेप का मुआवजा हड़प रहे हैं। ऐसे में कई निर्दोष लोगों का परिवार बर्बाद हो रहा है। एससी-एसटी केस में मुआवजा मंजूर करने वाले अफसर मानते हैं कि कई घटनाओं में आर्थिक सहायता का दुरुपयोग हो रहा है। इसके गिरोह भी हैं, जिसमें फर्जी शिकायतकर्ता से लेकर खाकी वर्दी और कुछ वकील तक शामिल हैं।
ग्वालियर की महिला बताती हैं, कुछ महीने पहले तक मैं एक नामी स्कूल में लेक्चरर थी। 2 बच्चे हैं। पति का बिजनेस था। सामान के ऑर्डर को लेकर एक महिला पति के संपर्क में आ गई। मेलजोल बढ़ा और फिर ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हो गया। पहली एफआईआर 30 जून 2021 को भोपाल के निशातपुरा थाने में दर्ज हुई। इसमें जमानत मिली तो 10 अक्टूबर 2021 को एमपी नगर थाने में दूसरी स्नढ्ढक्र हो गई। मैं फोन पर गिड़गिड़ाती रही कि सर, महिला की शिकायत झूठी है, लेकिन पुलिस नहीं मानी। बाद में पता चला कि इससे पहले यही महिला 23 सितंबर 2021 को एक और व्यक्ति के खिलाफ रेप की एफआईआर दर्ज करा चुकी है। इसी महिला ने 5 महीने में रेप के 3 केस दर्ज कराए। कचहरी के चक्कर लगाते-लगाते यह भी पता चला कि इसी महिला ने 2014 में भी ऐसी ही 3 झूठी एफआईआर कराई थी। उसे विभाग से दुष्कर्म पीडि़ता के तौर पर आर्थिक मदद भी जारी हो गई। पति ने 27 लाख रुपए में दुकान बेच दी। दो कारें थी, वो भी बिक गई। मेरे स्कूल में फोन करके कहा गया कि इसके पति पर रेप की एफआईआर है। नौकरी भी छीन ली गई। अब सबकुछ बर्बाद हो गया। बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते थे। फीस भरने के पैसे नहीं है। साल भर से स्कूल नहीं जा रहे हैं। उस महिला ने जीना हराम कर दिया है।
इसी प्रकार जबलपुर में एक ही महिला ने 5 लोगों पर रेप की एफआईआर दर्ज कराई है। पीडि़तों का कहना है कि वह महिला उल्टे हमसे सवाल करती है कि कानून में कहां लिखा है कि एक महिला से एक से ज्यादा बार रेप नहीं हो सकता। रेप के मामले में आरोपी बनाए गए एक युवक के पिता कहते हैं- इन लोगों का पूरा गिरोह है। मेरे बेटे से पहले उस महिला ने इंस्टाग्राम पर दोस्ती की। फिर मुलाकात करने लगी। इसके बाद शादी का दबाव। फिर दुष्कर्म की एफआईआर। हमने पता किया तो पता चला कि वही महिला पहले भी ऐसी 4 एफआई दर्ज करा चुकी है।
नीमच में बांछड़ा समुदाय की महिला ने छेडख़ानी की शिकायत की। तब पुलिस ने उसका केस आर्थिक सहायता के लिए नहीं भेजा। चार्जशीट के बाद भेजा। अब खुद पुलिस ही कह रही है कि महिला आदतन शिकायतकर्ता है। इसे आर्थिक सहायता नहीं दी जानी चाहिए। अब प्रशासन ने मार्गदर्शन मांगा है कि एफआईआर और चालान की दो किश्तें शिकायतकर्ता महिला को दी जाए या नहीं। सूत्रों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि महिला ने पुलिस को उसका हिस्सा देने से इनकार कर दिया।
ऐसे काम करती है गैंग
जबलपुर में रेप का आरोप झेल रहे एक युवक के पिता ने बताया कि ये लड़कियां अच्छे घरों के लड़कों से संपर्क बनाती हैं। फिर घूमने फिरने के बहाने उनके वीडियो बना लेती है। वीडियो से ब्लैकमेल करती है। फिर रेप की एफआईआर कराती है। यदि पीडि़ता दलित-आदिवासी हुई, तो आर्थिक सहायता भी मिलती है। फिर कोर्ट में होस्टाइल होने से पहले समझौते के एवज में भी लाभ प्राप्त करती है। इसमें कुछ बिचौलिए भी सक्रिय रहते हैं। पीडि़ताओं को मिलने वाली मदद का एक हिस्सा उन्हें भी मिलता है।