इंदौर। एक तरफ तो नगर निगम विश्राम बाग में पीपीपी मोड पर टॉय ट्रेन चलाने की तैयारी कर रहा है दूसरी तरफ नेहरू पार्क में सात महीने पहले शुरू की गई टॉय ट्रेन बंद होने की कगार पर है। इस टॉय ट्रेन को इंदौरी बच्चों का प्रतिसाद नहीं मिल रहा। हालत यह है कि 80 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर इस ट्रेन को संचालित करने वाली राजस्थान की कंपनी के लिए फायदा कमाना तो दूर खर्चे निकालना ही मुश्किल हो गया है।
नेहरू पार्क की बदहाली के चलते जनता यहां आ ही नहीं रही। इसका सीधा असर टॉय ट्रेन के संचालन पर पड़ रहा है। जब नेहरू पार्क में जनता आएगी ही नहीं तो टॉय ट्रेन में बैठेगा कौन। यही वजह है कि राजस्थान की कंपनी अपने ट्रेन संचालन के निर्णय पर पुनर्विचार करने लगी है।
लगभग 10 वर्ष बंद रहने के बाद जून 2023 में नेहरू पार्क में टॉय ट्रेन की छुक-छुक की आवाज सुनाई देने लगी थी। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इसका शुभारंभ किया था। उन्होंने ही इसे वंदे इंदौर नाम भी दिया था। नगर निगम ने इस टॉय ट्रेन का संचालन पीपीपी मोड पर राजस्थान की शंकरलाल कास्ट एंड कंपनी को सौंपा है। कंपनी को ट्रेक बिछाने के साथ-साथ इस ट्रेन, स्टेशन का मेंटेनेंस भी करना है।
शुभारंभ के 10-15 दिन तो टॉय ट्रेन को अच्छा प्रतिसाद मिला, लेकिन इसके बाद लोगों का नेहरू पार्क आना ही कम हो गया। असर यह पड़ा कि वर्तमान में टॉय ट्रेन के 100 टिकट भी रोज नहीं बिक रहे। किसी-किसी दिन तो यह संख्या बहुत ही कम रह जाती है। कंपनी को इंदौर में ट्रेन के रखरखाव के साथ-साथ आॅफिस, रेलवे स्टेशन आदि भी मेंटेन करना पड़ता है। इसके अलावा कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्च भी होते हैं। कंपनी के कर्मचारियों का कहना है कि नेहरू पार्क की बदहाली की वजह से आम जनता पार्क में नहीं आती।
नेहरू पार्क में घास तक नहीं
रखरखाव के अभाव में नेहरू पार्क बदहाल पड़ा है। परिसर में स्मार्ट सिटी कंपनी का दफ्तर होने के बावजूद नेहरू पार्क स्मार्ट नहीं बन सका। यहां जगह-जगह नगर निगम का कबाड़ पड़ा है। हरियाली के नाम पर सीमेंट कांक्रीट के निर्माण कर दिए गए हैं। यही वजह है कि किसी समय लोगों से गुलजार रहने वाला नेहरू पार्क विरान पड़ा रहता है।
इंदौर
टॉय ट्रेन को नहीं मिल रहा बच्चोंका प्रतिसाद
- 29 Feb 2024