एक साल के बकाया 10 लाख रु. भी देने होंगे; फैमिली कोर्ट का आदेश
इंदौर। भरण पोषण के एक मामले में फैमिली कोर्ट ने ट्रांसपोर्टर पति को आदेश दिया है कि वह जुड़वां बच्चों और पत्नी को 34 हजार रु. हर माह दें। यह राशि पत्नी को आजीवन और बच्चों को बालिग होने तक देनी होगी। इसके साथ ही एक साल की बकाया 10 लाख रु. की राशि भी तीनों को देने का आदेश दिया।
मामला इंदौर निवासी सिमरन कौर का है। उसकी शादी 15 सितम्बर 2018 को अहमदाबाद के ट्रांसपोर्टर लवदीपसिंह भाटिया से हुई थी। सितम्बर 2019 में उसे जुडवां पुत्र हुए। इस दौरान पति ने उसे दहेज के लिए प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। फिर दहेज में मिला सारा सामान रखकर उसके साथ मारपीट की। पति ने कई बार उसे जान से मारने की धमकी दी और घर से निकाल दिया। फिर मायके, रिश्तेदारों और परिचितों को भी फोन लगाकर पत्नी को बदनाम करने लगा। इसके अहमदाबाद कोर्ट में दावा पेश कर दिया। पत्नी की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने केस को इंदौर कोर्ट में ट्रांसफर किया तो पति ने साथ रखने का दावा हटा लिया।
इधर जुड़वां बच्चों में से एक सचमन सिंह के सिर में पानी भरा होने से उसका दाहिना अंग लकवाग्रस्त हो गया। इस पर पति ने उसे मारने की जिद की। सुसराल वालो का तर्क था कि यह बच्चा कभी ठीक नहीं होगा। यह कमाएगा भी नहीं और इस पर अनावश्यक खर्चा होगा इसलिए इसे मार देना चाहिए। इस पर पत्नी विरोध करती थी तो उसके साथ मारपीट करते थे।
इसके बाद पत्नी इंदौर में माता-पिता के यहां आ गई। उसने पति पर घरेलू हिंसा, दहेज प्रताडना, भरण-पोषण के साथ तलाक का भी केस लगा दिया। सिमरन के एडवोकेट केपी माहेश्वरी के मुताबिक भरण पोषण के केस में ससुर हरमहेन्द्र सिंह भाटिया ने बचाव किया कि सिमरन माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाती थी। कोर्ट ने पति की आय 80 हजार रु. प्रति माह मानी। साथ ही आदेश दिया कि वह बीमार पुत्र सचमन सिंह को 12 हजार रु. प्रति माह, दूसरे पुत्र सुखमन सिंह के लिए 7 हजार रु. और पत्नी सिमरन को भरण पोषण के लिए 15 हजार रु. हर माह दें। इसके साथ ही फरवरी 2022 से बकाया 10 लाख रु. भी एक मुश्त दें।
इंदौर
ट्रांसपोर्टर जुड़वां बच्चों, पत्नी को 34 हजार हर माह दें
- 03 May 2024