श्रीनगर। कश्मीर में बीते 20 दिनों में सात प्रवासी कामगारों को गोली मारकर घायल कर दिया गया है। सभी हमले पुलवामा के दक्षिणी जिले में हो रहे हैं। अधिकारियों को संदिग्धों को खोजने में कुछ खास सफलता हासिल नहीं हुई है। भय और अनिश्चितता के बीच कई प्रवासी श्रमिक या तो अपने गृह नगर या फिर घाटी के अन्य हिस्सों के लिए रवाना हो गए हैं।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुलवामा के प्रूचू गांव में सड़क के किनारे बिहार के बगहा जिले के निवासी धीरज कुमार राहगीरों पर नज़र रखता है, क्योंकि वह घर बनाने के लिए मोर्टार तैयार करता है। जब कोई अजनबी आता है तो वह डर जाता है। उसने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मुझे पता है वे (आतंकवादी) कश्मीर के बाहर के लोगों को निशाना बना रहे हैं। लेकिन हम और क्या कर सकते हैं? हम किसी भी तरह से मरेंगे। अगर मैं यहां काम नहीं करता हूं, तो मैं अपने परिवार को क्या खिलाऊंगा? मैं सिर्फ सावधानी बरत रहा हूं और उम्मीद करता हूं कि कुछ नहीं होगा।”
आपको बता दें कि प्रवासी लोगों पर हमले करीब पांच महीने के बाद हुए हैं। इससे पहले अक्टूबर में पांच लोग मारे गए थे। हालिया गोलीबारी की पहली घटना 19 मार्च को हुई थी, जब संदिग्ध आतंकवादियों ने उत्तर प्रदेश के एक बढ़ई मोहम्मद अकरम को गोली मार दी थी। आखिरी बार 7 अप्रैल को पंजाब के पठानकोट के एक मजदूर सोनू शर्मा पर पुलवामा के यादेर गांव में हमला किया गया था। वहीं, 21 मार्च को बिहार के एक मजदूर बिस्वजीत कुमार घायल हो गए थे। 3 अप्रैल को पठानकोट के एक ड्राइवर धीरज दत्त और कंडक्टर सुरिंदर को संदिग्ध आतंकवादियों ने गोली मार दी थी। चार अप्रैल को बिहार के दो मजदूरों पातालश्वर कुमार और जक्कू चौधरी पर हमला किया गया था.
साभार लाइव हिन्दुस्तान
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डर के कारण पुलवामा छोड़ रहे हैं प्रवासी मजदूर
- 13 Apr 2022