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भोपाल

डेम लीकेज के बाद एक्शन में सरकार, दो कंपनियों पर कार्रवाई, दोनों ब्लैक लिस्टेड

  • 18 Aug 2022

टीकमगढ़ में बनाई हरपुरा नहर भी टूटी; ्रहृस् और सारथी कंपनियों के लाइसेंस भी सस्पेंड
भोपाल। धार के कारम डैम में लीकेज के बाद सरकार ने एक्शन लिया है। सरकार ने मामले में लापरवाही बरतने वाली ्रहृस् कंस्ट्रक्शन और सारथी कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। साथ ही, दोनों कंपनियों को नोटिस भी भेजा गया है। दोनों कंपनियों का रजिस्ट्रेशन भी सस्पेंड कर दिया है। बांध निर्माण को लेकर विपक्ष ने भी दोनों कंपनियों पर सवाल उठाया था।
धार का मामला ठंडा नहीं हुआ था कि सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा टीकमगढ़ में बनाई गई हरपुरा नहर बौरी गांव के पास टूट गई। इससे किसानों की फसल बर्बाद हो गई। सबसे ज्यादा नुकसान बौरी गांव की महिला किसान जसोदा यादव पति स्व. गोकुल यादव का हुआ है। धार में कारम डैम में लीकेज के बाद 18 गांवों के 40 हजार से ज्यादा लोगों का जीवन संकट में आ गया था।
टीकमगढ़ जिले में तत्कालीन प्रभारी मंत्री जयंत मलैया ने 41 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली हरपुरा नहर का भूमिपूजन किया था। इस परियोजना से 14 तालाबों को जोडक़र भरा जाना था। इस नहर के साथ ही चंदेलकालीन तालाबों को भरने और पाइप डालकर सिंचाई के संसाधनों का विस्तार किया जाना था। इस नहर का काम करने वाली सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इसमें इतना घटिया निर्माण किया कि पहली टेस्टिंग में ही यह निर्माण फेल कर दिया गया था। यह देश की पहली नदी-तालाब जोड़ों परियोजना थी। नहर एमपी-यूपी के बीच जामनी नदी में बनाई गई है। यहां से जामनी का पानी 14 तालाबों तक पहुंचाया जाना था। लेकिन सिर्फ चार तालाब भर सके। दरअसल इसकी सहायक नहरों के निर्माण में तकनीकी चीजों का ध्यान नहीं रखा गया था।
नहर के निर्माण हुई गड़बड़ी
हरपुरा नहर के निर्माण में तकनीकी खामियां हैं। कई जगह नहरें ऊंची कर दी गईं, जिससे पानी का बहाव रुक गया। यदि नहर का निर्माण काम यदि सही ढंग से किया जाता तो सूखे से जूझ रहे किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिल सकता था। विशेषज्ञों का कहना है कि नहरों के निर्माण में तकनीकी खामियों को नजरअंदाज कर दिया गया। इस परियोजना से 1980 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के साथ-साथ एक हजार साल पुराने ऐतिहासिक चंदेलकालीन तालाबों को भी नया जीवन दिया जाना था।
सूखे क्षेत्र को मिलता जीवनदान
हरपुरा नहर परियोजना से जिन तालाबों को नया जीवन मिलना था, उनमें हनुमान सागर, जगत नगर गांव के दो, पूर्वी गोर गांव के दो व दरगाय कला, ररगाय खुर्द, मोहनगढ़, मुम्हैड़ी, अर्चरा और वृषभानपुरा तालाब शामिल हैं। जामनी नदी में उपलब्ध बारहमासी जल-प्रवाह से इन सभी तालाबों में पूरे वर्ष पूर्ण जलाशय स्तर तक पानी उपलब्ध रहने का प्लान तैयार किया गया था, लेकिन निर्माण कार्य ने इस प्लान पर पानी फेर दिया है।
ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से बनवाया बांध-नेता प्रतिपक्ष
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि कागजों पर कारम डैम निर्माण का ठेका दिल्ली की ्रहृस् कंपनी को दिया गया, लेकिन जमीन पर काम सारथी कंस्ट्रक्शन नामक दूसरी कंपनी कर रही थी। सारथी कंस्ट्रक्शन को 2018 में ही ब्लैक लिस्टेड किया जा चुका था। ्रहृस् कंपनी भी 2016-17 में ब्लैक लिस्टेड की जा चुकी है। ऐसी ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को काम किसके इशारे पर दिया गया? नेता प्रतिपक्ष डॉ. सिंह और पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारवार्ता में ये आरोप सरकार पर लगाए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और मैंने बांध स्थल पर जाकर स्थिति का मुआयना किया। जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे पता चलता है कि बांध के निर्माण का काम प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से दो ऐसी कंपनियों को दिया गया, जो पहले ही ब्लैक लिस्टेड हो चुकी थीं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश में अकेला कारम बांध नहीं है, जो शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा है। विदिशा जिले के बागरोद में स्थित दानमणि बांध में भी लीकेज का मामला सामने आया है। शिवपुरी जिले की चंबल माइक्रो इरिगेशन योजना में भी घोटाला सामने आया है।
कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने सीएम को लिखा लेटर
धार के कारम बांध को लेकर राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। पत्र में कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने कारम बांध भ्रष्टाचार में सीएम हाउस के अधिकारियों को भी लपेटा है। विवेक तन्खा ने लिखा है कि- इस घोटाले में सीएम हाउस के अधिकारी भी शामिल है। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने लिखा है कि- कारम बांध भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा है। ब्लैक लिस्टेड कंपनी को बांध निर्माण का ठेका दिया गया। ब्लैक लिस्टेड कंपनी ने दूसरी ब्लैक लिस्टेड कंपनी से कारम बांध का निर्माण कराया। सीएम हाउस के अधिकारी भी इस घोटाले में शामिल है। 2022 में विधानसभा में जल संसाधन मंत्री ने मुद्दा उठाया था। बावजूद जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।