हादसों रोकने जिम्मेदार तो सक्रिय, लेकिन फिर भी कहां हो रही लापरवाही
इंदौर। तेजी से महानगर और स्मार्ट सिटी का रूप लेते मप्र के इंदौर में अनदेखी या यूं कहें कि ये कैसी लापरवाही है कि कई मामलों में जिम्मेदार तो सक्रिय हैं, लेकिन इसके बाद भी हादसे हो जाते हैं। कई बार देखा जाता है कि सरकारी अधिकारी नियमों का पालन कराने के लिए सख्ती करते हैं और हादसे में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाईकरते हैं तो उसका गलत अर्थ निकाल लिया जाता है और दबाव-प्रभाव के चलते कार्रवाई को ठंडे बस्ते में पहुंचा दिया जाता है, लेकिन इसमें न जाने कितने लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है और कभी-कभी तो जान तक चली जाती है।
हादसों के बाद जिम्मेदार अधिकारी भविष्य में इस तरह के हादसों की पुरावृत्ति न हो इसे लेकर अलर्ट जारी करते हुए जांच का अभियान चलाते। ऐसा केवल एक बार नहीं, बल्कि कई बार देखने में आया है। खासकर सडक़ हादसों में तो यह हर बार की बात हो गई है कि प्रदेश में कहीं पर भी कोई बड़ा सडक़ हादसा होता और अनेक निर्दोष लोग मौत का शिकार हो जाते हैं, तब धड़ाधड़ यात्री व अन्य वाहनों की जांच का अभियान चलाया जाता है। बस संचालकों, चालकों और परिचालकों को समझाइश दी जाती है, लापरवाही मिलने पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से थोड़े से लालच के चलते सडक़ हादसों में निर्दोष लोगों की जान से खिलवाड़ शुरू कर दिया जाता है।
कुछ ऐसा इन दिनों आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए चल रहा है। दरअसल शहर में कई ऐसी ऊंची इमारतें हैं, जो व्यवसायकि के साथ रहवासी भी हैं। इनमें कुछ इमारतों में प्रत्येक बिल्डिंग पर एक-एक तो कुछ में अग्निशमन यंत्र नहीं है। निगम और जिला प्रशासन के द्वारा कई नियम आग लगने से होने वाले हादसे रोकने के लिए नियम तय किए जाते हैं, इनका पालन भी सख्ती से कराया जाता है, लेकिन इसके बावजूद बड़ी-बड़ी इमारतें बना देने वालों के द्वारा इन नियम कायदों की अनदेखी से हादसे होते हैं। वहीं हादसे के बाद सुस्त पड़े जिम्मेदार लोग जाग्रत होकर आदेश जारी कर कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। इंडस्ट्री हाउस में पिछले दिपनों आग ने भयावह रुप धारण कर लिया, जिससे लोग जान बचाकर भागे। यह केवल एक घटना नहीं महानगर की ओर कदम बढ़ा रहे शहर में हर वर्ष आगजनी की घटनाएं होती है। इन घटनाओं के बाद आग पर नियंत्रण करने दमकलें आती है। आग की अनेक घटना में अग्निशमन यंत्र का उपयोग नहीं होता है।
न जांच, न खुद बदलते हैं
अग्निशमन यंत्र बिल्डिंगों में दिखावा मात्र बनकर रह गए हैं। कुछ बिल्डिंगों में यंत्र के उपयोग करने की समयसीमा तक खत्म हो चुकी है। समयसीमा को लेकर बिल्डिंग संचालक गंभीर नहीं है। संचालक केवल एनओसी लेकर जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं। वहीं इनकी जांच भी नहीं की जाती है।
यह रहता है मानक
-बिल्डिंगों में रहवासी, व्यावसायिक प्रतिष्ठान के मान से छोटे बड़े यंत्र हर फ्लोर पर होना चाहिए।
-यंत्र के संचालन के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति की नियुक्ति होना चाहिए।
-यंत्र की अवसान तिथि का ध्यान रखना चाहिए।
-यंत्र की नली में टूटफूट या लीकेज की जांच होना चाहिए।
-हर साल प्रशासन के अमले को जांच करना चाहिए।
-जिस कायाज़्लय के बाहर यंत्र लगा है, उसके मालिक को प्रशिक्षित होना चाहिए।
अब तक यह होता रहा
-पुरानी बिल्डिंगों को छोड़ दिया जाए तो कमोबेश हर नई ऊंची इमारतों में यंत्र लगे हुए हैं।
-आग लगने पर रहवासी, दुकानदार और व्यापारी जान बचाने भाग निकलता है।
-यंत्र से बड़ी आग पर काबू नहीं पाया जा सकता।
-बड़ी आग बुझाने में दमकलें भी उपयोगी होती है।
अनेक ऊंची इमारतें
फडनीस काम्प्लेक्स, सिटी सेंटर, सिटी प्लाजा, झाबुआ टॉवर, सपना संगीता रोड, उषा नगर, द्वारकापुरी, विजयनगर क्षेत्र में कई ऊंची इमारतें हैं। जहां सैकड़ों दुकानें-आफिस संचालित होते हैं। कुछ बिल्डिंगों में अग्निशमन यंत्र नहीं है और जहां पर वहां पर कभी-कभार ही हादसा होने पर कार्रवाई से बचने के लिए संचालक इन यंत्रों की ओर ध्यान देते हैं। वहीं इन बिल्डिंगों से निगम टैक्स वसूलता है, लेकिन जांच और कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे बैठा रहता है। यही कारण है कि यंत्र लगाने वाले इसके प्रति गंभीर नहीं है।
नई हाइड्रोलिक मशीन खरीदेंगे
पुलिस अधीक्षक फायर ब्रिगेड शशिकांत कनकने ने बताया कि हाइराइज बिल्डिंगों में लगने वाली आग बुझाने के लिए शीघ्र ही नई हाईड्रोलिक मशीन खरीदी जाएगी। इसके टैंडर हो चुके हैं। फायर ब्रिगेड का काम आग बुझाना है, यंत्र का रखरखाव बिल्डिंग मालिक और निगम के जिम्मे है।
इंदौर
तेजी से स्मार्ट सिटी बनते शहर में ... आखिर कब तक अनदेखी ...?
- 21 Mar 2024