(जन्म- 1814 ई., पटौदा ज़िला, महाराष्ट्र; मृत्यु- 18 अप्रैल, 1859, शिवपुरी, मध्य प्रदेश)
को सन 1857 ई. के 'प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम' के अग्रणीय वीरों में उच्च स्थान प्राप्त है। इस वीर ने कई स्थानों पर अपने सैनिक अभियानों द्वारा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात आदि में अंग्रेज़ी सेनाओं से कड़ी टक्कर ली और उन्हें बुरी तरह परेशान कर दिया। गोरिल्ला युद्ध प्रणाली को अपनाते हुए तात्या टोपे ने अंग्रेज़ी सेनाओं के छक्के छुड़ा दिये। वे 'तांतिया टोपी' के नाम से भी विख्यात थे। अपनी अटूट देशभक्ति और वीरता के लिए तात्या टोपे का नाम भारतीय इतिहास में अमर है।
तात्या टोपे का जन्म सन 1814 ई. में नासिक के निकट पटौदा ज़िले में येवला नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम पाण्डुरंग त्र्यम्बक भट्ट तथा माता का नाम रुक्मिणी बाई था। तात्या टोपे देशस्थ कुलकर्णी परिवार में जन्मे थे।इनके पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय के गृह-विभाग का काम देखते थे। उनके विषय में थोड़े बहुत तथ्य उस बयान से इकट्ठे किए जा सकते हैं, जो उन्होंने अपनी गिरफ़्तारी के बाद दिया और कुछ तथ्य तात्या के सौतेले भाई रामकृष्ण टोपे के उस बयान से इकट्ठे किए जा सकते हैं, जो उन्होंने 1862 ई. में बड़ौदा के सहायक रेजीडेंस के समक्ष दिया था। तात्या का वास्तविक नाम 'रामचंद्र पांडुरंग येवलकर' था। 'तात्या' मात्र उपनाम था। तात्या शब्द का प्रयोग अधिक प्यार के लिए होता था। टोपे भी उनका उपनाम ही था, जो उनके साथ ही चिपका रहा। क्योंकि उनका परिवार मूलतः नासिक के निकट पटौदा ज़िले में छोटे से गांव येवला में रहता था, इसलिए उनका उपनाम येवलकर पड़ा।
व्यक्तित्व विशेष
तात्या टोपे
- 18 Apr 2022