इंदौर। बुरहानपुर से बचाई गई मादा तेंदुआ की खोजबीन में 72 घंटे से भी ज्यादा का समय गुजर चुका है। इसके बावजूद उसका कोई पता नहीं चल सका है। 52 एकड़ में फैले चिडिय़ाघर में 200 कर्मचारियों की टीम ने उसकी खोजबीन में जुटी हुआ है। रविवार को भी यह खोज जारी रही। अब वन विभाग अमले ने तेंदुआ को पकडऩे के लिए ढोल का उपयोग किया। रविवार दोपहर को टीम के साथ कुछ ढोलक वाले भी शामिल थे, जो वन विभाग की टीम के साथ ढोल बजाते हुए चल रहे थे। तेंदुए के लापता हो जाने के बाद अब एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर वह कहां गया है?
उम्मीद की जा रही है कि यदि मादा तेंदुआ कहीं छुप कर बैठी होगी तो ढोल की आवाज से जरूर कुछ हलचल करेगी। इससे उसकी स्थिति का पता चल सकेगा। वन विभाग ने उसे पकडऩे के लिए 42 सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाला, लेकिन इसके बावजूद वह खाली हाथ ही रहा। इन फुटेज में चार बिल्ली और दो कुत्ते कैद हुए। मादा तेंदुआ को पकडऩे के लिए चार जगह पिंजरे लगाए गए हैं, इनमें मटन, चिकन और मुर्गा रखा गया है। साथ ही तीन जगह ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं। इन सीसीटीवी कैमरों पर आठ लोगों की टीम नजरें लगाकर बैठी है।
वन विभाग की इस सघन तलाशी के बाद भी यह सवाल एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है कि क्या वन विभाग का अमला जिस पिंजरे में मादा तेंदुआ को लाने की बात कर रहा है, उसमें वह मादा तेंदुआ थी भी या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि रास्ते में ही वह कमजोर पिंजरे को तोड़कर भाग गई हो। दिनभर वन विभाग के दल विभिन्न स्थानों पर डेरा डाले हुए रहे। उनका कहना था कि पिंजरे को लगाने के बाद अब इनकी निगरानी कर रहे हैं ताकि भूख लगने पर तेंदुआ निकल बाहर आए।
इंदौर
तेंदुआ बन गया पहेली, सबका का एक ही सवाल, आखिर कहां गया
- 06 Dec 2021