तुलसी बोले तो मुझे लगे कि महादेव बोले .....होंठ तुलसी के हिलते हैं ...बोलते हैं मेरा विश्वनाथ ....
----मोरारी बापू
मुझे लगता है जैसे 7 सोपान है .....वैसे तुलसी के इर्द-गिर्द भी 7 रत्न है.....
1... एक तुलसी स्वयं रत्न है ....विश्व का रत्न है ....उसके समान कौन रत्न है ?..... सागर से निकले 14 रत्नों से भी ऊपर कोई रत्न है तो तुलसी है.....
2... और दूसरा रत्न... मेरी दृष्टि में ....जिस महापुरुष तुलसी के पिता बन कर आए .....जो पिता है सरयूपरी ब्राह्मण..... आत्माराम दुबे ....ये दूसरा रत्न है ....
3...तुलसी जी की मातुश्री.... जन्म दात्री... हुलसी जी.... ये तीसरा रत्न है ....
4... चौथा रत्न.... जिस दासी ने तुलसी को बड़ा किया.... माँ तो मर गई ......जो दासी तुलसी को बड़ा करती है..... वो चौथा रत्न है मेरी दृष्टि में .....
5....पाँचवा रत्न है.... तुलसी जी की प्रथम गुरु देवी रत्नावली जी ......
6...छठ्ठा रत्न .....तुलसी के सद्गुरु नरहरी महाराज......
7.... और साँतवा रत्न है राम नाम ......
ये सात रत्न .....तुलसी सहित ये 7 जो है मेरी दृष्टि में रत्न है .......उनकी हम स्मृति करेंगे रत्नावली में .......
एक माला होती है उसमें कई मणि होते हैं .....उसमें मुख्य जो होता है उसको भी रत्नावली कहते हैं..... जिसको मेरु कहते हैं .......और अर्थ लगाने में मुझे कोई संकोच नहीं कि शायद तुलसी की इस सप्त मणके की माला में रत्नावली शायद मेरु है .....शायद मेरु है..... शायद मेरु है.....
राम कथा । मानस रत्नावली
चिंतन और संवाद
तुलसी अस्तित्व की कोई व्यवस्था है ..
- 04 Aug 2022