भोपाल। शहर के बड़े तालाब पर चल रहे क्रूज के साथ ही अन्य जलाशय में क्रूज बोट चलने पर बैंन लगा दिया गया है। यह निर्णय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की केंद्रीय पीठ दिया है। इसमें वेटलैंड नियम 2017 के तहत बफर जोन के अंदर हो रहे निर्माण पर बैन लगाने की बात कही गई है। यह मामला भोपाल नगर निगम परिषद की बैठक में भी उठा था। जिसे कांग्रेस पार्षदों ने उठाया था। दरअसल एनजीटी ने नगर निगम पर बड़े तालाब में निर्माण की अनुमति देने पर जुमार्ना लगाया था। भरपाई के लिए कांग्रेस पार्षदों ने नगर निगम के अधिकारियों को जिम्मेदार माना था और उनके वेतन से इस हजार्ने के पैसे की पूर्ति करने की बात कही थी। लेकिन भाजपा पार्षदों ने इस बात पर यह तर्क दिए थे कि क्रूस का संचालन पर्यटन निगम के माध्यम से हो रहा है, जबकि भोज वेटलैंड के अधिकारियों ने सिर्फ अनुमति की प्रक्रिया की है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाकर याचिका दायर करने की बात दो दिन पहले कही गई थी।
एनजीटी ने दिए सख्त निर्देश-
इधर एनजीटी ने साफ तौर पर अपने आदेश में कहा है कि बफर जोन के अंदर किए गए निर्माण को तुरंत हटाया जाए या तोड़ा जाए और आदेश का पालन करने के लिए पीसीबी को निर्देशित भी किया गया है। बता दे कि भोपाल के बड़े तालाब में क्रूज बोर्ड का संचालन पर्यटन विभाग निगम करता है। इसके पहले बोट क्लब में ही फ्लोरिंग रेस्टोरेंट बनाने का मामला भी सामने आया था। जिसमें बड़े तालाब पर पिलर डालकर काम शुरू किया गया था। यह मामला ग्रीन ट्रिब्यूनल में पहुंचा था जिसमें याचिका करता सुभाष पांडे ने याचिका लगाई थी। इसके बाद एनजीटी ने इस पर रोक लगा दी थी और निर्माण को तोड़ने के निर्देश दिए थे।
भोपाल
तालाब में क्रूज चलाने पर एनजीटी की रोक
- 14 Sep 2023