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तो सार्थक होगी दीपावली... दीपमालाओं की तरह गूंथ जाएं सारा समाज

  • 24 Oct 2022

धन धान्य की देवी मां लक्ष्मी के दिन का साल भर सभी को बेसब्री से इंतजार था। धनतेरस और रुप चौदस के बाद अब लोगों को जिस दिन की प्रतीक्षा रहती है वो है दीपावली की अमावस्या जिसे बड़ी दीवाली कहा जाता है। इस दिन सभी लोग घरों तथा अपने प्रतिष्ठानों में सदस्यों और कर्मचारियों के साथ मिलकर लक्ष्मीपूजन कर एक दूसरे को शुभकामनाएं तथा उपहार आदि देते है।
दरअसल दीपावली का पर्व केवल त्योहारभर नहीं है। ये उस आस्था और विश्वास का प्रतीक है जो हमारे मन में जागता है । उस मन में जो त्योहारों के लिए प्रफुल्लित होता है, खुश होता है और सपने संजोता है। दीपावली इस छूट का नाम भी नहीं है जो हमें वस्तुओं पर मिलती है और उनसे हम घर-दुकान सजा लेते हैं। घर में नए सामान, नई वस्तुएं हमें नएपन का अहसास तो कराती ही हैं । परोक्ष रूप से देखा जाए तो दीपावली बाजारवाद का एक उदाहरण बनकर रह गया है। समाज का हर व्यक्ति अपनी हैसियत के अनुसार खरीदी करता है और खुद के साथ घर-दुकान आदि को सजाता-संवारता है। लेकिन इस बाजारीकरण से अलग हटकर दीपावली का पर्व एक बहुत व्यापक रूप लिए है जिसे जानने-परखने की जरूरत है।
दीपमालाएं बताती हैं रास्ता
दीपावली पर्व पर प्रकाशमान होने वाली दीपमालाएं हमें रास्ता बताती हैं। ऐसा रास्ता जो हमें उस मंजिल तक ले जाता है जो सद्भाव और मिलनसारिता की है। एक ऐसा समाज जो न केवल वैचारिक रूप से बल्कि अन्य सभी दृष्टिकोणों से मजबूत और बलवान हो, ये दीपमालाएं बताती है कि प्रकाश केवल उजाला ही नहीं करता वो आपको भीतर और बाहर से मजबूती से प्रज्जवलित होने की शक्ति भी देता है। यानी दीपमालाएं जैसे आपस में होती हैं, उसका अनुसरण हमें सामाजिक तौर पर करना चाहिए ।
दोगुनी हो जाएंगी हमारी खुशियां
दीपावली का मतलब ही खुशियां हैं। लेकिन अगर हम एक छोटी सी कोशिश से दूसरों के चेहरे पर हल्की सी भी मुस्कराहट ले आएं तो हमारी खुशियां दोगुनी हो जाएंगी। जरूरी नहीं है कि हम कोई बड़ा काम करें। छोटी-छोटी चीजों से हम तोहफे में बहुत बड़ी मुस्कराहट दे सकते हैं। जैसे हम अपने लिए, परिवार के लिए, बच्चों के लिए नए कपड़े खरीद रहे हैं, तो क्यों न एक-दो जोड़ी कपड़े उन जरूरतमंद बच्चों के लिए भी खरीद लें, जो कहीं आसपास ही रहते हैं। हजारों रुपए के पटाखे खरीदते समय कुछ रुपए के पटाखे इन बच्चों के लिए भी ले आएं। अपने लिए मिठाई लाएं तो एक छोटा सा पैकेट खरीदकर इन्हें भी दें। जब आप उन्हें ये चीजें देंगे, तो देखिएगा उनके चेहरे कैसे खिल उठेंगे। आपको उस एक पल में जो खुशी मिलेगी, वो दीपावली की रोशनी से ज्यादा चमकीली होगी। मायूस होकर बैठे बच्चों, परिवारों तक मिठाइयां, चॉकलेट, दीये, नए कपड़े पहुंचाकर हम सिर्फ दीपावली नहीं, सार्थक दीपावली मनाएं।Ó दूसरों की नहीं, अपनी खुशियों के लिए ऐसा जरूर करें।