।। शुभ दीपावली ।।
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।
शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोऽस्तुते।।
DGR @ नितिन -भारती अवस्थी
1- भगवान राम जब अयोध्या लौटे थे
दीपावली के लिए मान्यता है कि भगवान राम रावण का वध करके चौदह वर्ष का वनवास पूरा करने के पश्चात अयोध्या वापस आये थे | नगरवासियों ने पूरे अयोध्या को रोशनी से सजा दिया था |
2- हिरण्यकश्यप का वध
एक पौराणिक कथा में बताया गया है कि, विष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। दैत्यराज की मृत्यु पर प्रजा ने घी के दीये जलाकर दिवाली मनाई थी।
3- कृष्ण ने नरकासुर का वध
जब कृष्ण भगवान् ने अत्याचारी नरकासुर का वध दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था। इसके बाद इसी खुशी को मनाने के लिए उसके अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं।
4- शक्ति ने धारण किया जब महाकाली का रूप
महाकाली ने राक्षसों का वध किया था उस समय वह बहुत ही क्रोधित थी | इनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके सामने लेट गए थे | भगवान शिव के शरीर के स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया था | इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है |
5- राजा बलि से लिया गया दान
भगवान वामन ने राजा बलि से दान में तीन कदम भूमि मांग ली और विराट रूप लेकर तीनों लोक ले लिए। इसके बाद सुतल का राज्य बलि को प्रदान किया। सुतल का राज्य जब बलि को मिला तब वहां उत्सव मनाया गया, तबसे दीपावली की शुरुआत हो गई |
6- समुद्र मंथन
समुद्र मंथन के समय जब क्षीरसागर से महालक्ष्मीजी उत्पन्न हुई तो उस समय भगवान नारायण और लक्ष्मीजी का विवाह प्रसंग किया गया | इसके बाद से ही हर जगह उजियारा करने के लिए दीपक जलाएं गए तब से दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा |
8-जब प्रकट हुए लक्ष्मी, धन्वंतरि व कुबेर
पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, दीपावली के दिन ही माता लक्ष्मी दूध के सागर, जिसे केसर सागर के नाम से जाना जाता है, से उत्पन्न हुई थीं। साथ ही समुद्र मन्थन से आरोग्यदेव धन्वंतरि और भगवान कुबेर भी प्रकट हुए थे।”
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दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाए जाते हैं | भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का द्योतक माना जाता है, क्योंकि वो स्वयं जलता है, पर दूसरों को प्रकाश देता है। दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक पुस्तकों में उसे ब्रह्मा स्वरूप माना जाता है | “
ये भी कहा जाता है कि, ‘दीपदान’ से शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है | जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच सकता है, वहां दीपक का प्रकाश पहुंच जाता है, दीपक को सूर्य का भाग ‘सूर्यांश संभवो दीप |’ कहा जाता है।
धार्मिक पुस्तक ‘स्कंद पुराण’ के मुताबिक, दीपक का जन्म यज्ञ से हुआ है। यज्ञ देवताओं और मनुष्य के मध्य संवाद साधने का माध्यम है, यज्ञ की अग्नि से जन्मे दीपक पूजा का महत्वपूर्ण भाग है | “
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यह दीपोत्सव आपके जीवन में भी सुख समृद्धि, चेतना, ज्ञान और आध्यात्म का संचार करे... मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे...