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इंदौर

दुर्लभ वन्यप्राणियों की तस्करी करने वाले के साथियों की तलाश

  • 04 Mar 2022

इंदौर। क्राइम ब्रांच की टीम ने कार्रवाई करते हुए वन्यप्राणियों की तस्करी के मामले में दुर्लभ प्रजाति का उल्लू और कछुआ पकड़ा। मामले में एक ही तस्कर की गिरफ्तारी की है। पूछताछ में तस्कर ने बाकी छह लोगों का जिक्र भी किया है। इसमें तीन तस्कर खरीदार के संपर्क में हैं। तस्कर ने आठ दिन पहले जंगल से उल्लू पकडऩा कुबूला है, जिसे बेचने का प्रयास कर रहा था। वहीं कछुआ एक अन्य तस्कर के पास रखा होना बताया है। मामले में वन विभाग की टीम आरोपी के साथियों की तलाश में जुटी है।
 क्राइम ब्रांच टीम को विशेष मुखबिर से सूचना मिली थी कि शहर में वन्य जीवों की तस्करी करने वाले तस्कर  कछुआ एवं उल्लू को लेकर घूम रहे हैं। उक्त सूचना पर टीम ने छानबीन कर एक संदिग्ध को पकड़ा। उसकी तलाशी ली गई तो उसके पास से एक उल्लू और एक कछुआ मिला। इसकी कीमत लाखों रुपए बताई गई है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि कई ग्राहक दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव उल्लू व कछुआ को मुंह मांगी कीमत पर खरीदते हैं इसलिए वह इनके ग्राहक तलाश रहा था । बताते हैं कि दतौदा से क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को पकड़ा था। लेकिन कार्रवाई में एक ही आरोपी की बात कही गई है। उल्लू को वजन के हिसाब से तंत्र-मंत्र में विश्वास करने वाले खरीदते हैं। वजन ज्यादा हो तो उल्लू की कीमत करोड़ों रुपए तक मिल जाती है। कछुआ के बारे में भी यही कहा जाता है कि वह तंत्र-मंत्र पर भरोसा करने वाले लोग अपने उपयोग के लिए खरीद लेते हैं। आरोपी को वन विभाग को सौंप दिया गया है। वहां उस पर कार्रवाई की जा रही है।
मुकेश के बयान के मुताबिक तस्करी में छह अन्य लोग भी शामिल थे। इनके बारे में क्राइम ब्रांच और इंदौर रेंज को बताया था। मगर राकेश के अलावा किसी भी व्यक्ति के बारे में दोनों विभाग ने कुछ नहीं बताया। वन विभाग के मुताबिक अभी क्राइम ब्रांच ने एक ही तस्कर सौंपा है। बाकी लोगों पर किन अपराध में कार्रवाई की है, इसकी जानकारी विभाग को अभी नहीं दी है।
तंत्र क्रिया में किया उपयोग
उल्लू और कछुआ वन विभाग ने जब्त कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक तंत्र क्रिया में उल्लू-कछुए का एक बार इस्तेमाल हो चुका है, क्योंकि कछुए के ऊपर हल्दी-कुमकुम के निशान भी मिले हैं। जबकि उल्लू की भी पूजा करना बताया है। यह दो साल का नर उल्लू बताया गया है। वन अधिकारियों के मुताबिक वन अधिनियम 1972 के तहत विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है।