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देश कोरोना वायरस की लहर से जूझ रहा, अस्पताल मे बेड है तो ऑक्सीजन नहीं, मप्र से महाराष्ट्र तक एक जैसा हाल

  • 15 Apr 2021

नई दिल्ली. देश इस वक्त कोरोना वायरस की ऐसी लहर से जूझ रहा है, जिसका कोई अंत नज़दीक नहीं दिख रहा है. ऐसी स्थिति में देश के स्वास्थ्य तंत्र की पोल खुल गई है, हर जगह बदहाली है. एक तरफ ऐसी बदइंतज़ामी है, जिससे लोगों में संक्रमण का खतरा है, अगर संक्रमित हो गए तो दूसरी बदइंतज़ामी से आप बच नहीं पाएंगे. ये बदहाली ऐसी है कि जिसमें बेड नहीं मिल रहे, बेड मिल रहे हैं तो ऑक्सीजन नहीं मिल रही. 
हालात ऐसे हैं कि ऑक्सीजन का जुगाड़ खुद से करना पड़ रहा है. ऑक्सीजन किसी तरह मिल गई तो इंजेक्शन और दवाइयां नहीं मिल रहीं. कोई भी बड़ा शहर हो, इस समय दो चीज़ों की बहुत कमी है. एक तो रेमडेसिवीर इंजेक्शन और दूसरा ऑक्सीजन. 
इस वक्त ऑक्सीजन का संकट ऐसा है कि अस्पताल मरीजों को एडमिट नहीं कर रहे हैं क्योंकि सप्लाई नहीं है. नई लहर में ऑक्सीजन की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि कोई इसको पूरा नहीं कर पा रहा है, मरीज ऑक्सीजन के बिना तड़प रहे हैं और जान जा रही हैं.
मध्य प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी
मध्य प्रदेश के रायसेन का हाल बेहद डरावना है, मरीज़ बाहर तड़प रहे हैं लेकिन हॉस्पिटल एडमिट नहीं कर रहे हैं. क्योंकि उनके पास ना बेड हैं ना ऑक्सीजन है. सिटी हॉस्पिटल के आशीष गोस्वामी का कहना है कि हमें हर रोज़ 90 ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए, लेकिन 30 मिल रहे हैं. यानी 60 सिलेंडर कम हैं, इसकी कमी के कारण मौतें भी हो रही हैं. 
अस्पताल का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी ऐसी है कि जिस एम्बुलेंस में मरीज़ों को लाना होता है, उसमें सिर्फ सिलेंडर को ढोया जा रहा है.
लेकिन ये एक अस्पताल की ही बात नहीं है. मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी का हाल तो ये है कि कई अस्पताल अब गंभीर मरीजों को एडमिट नहीं रहे, लोग अपने ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम खुद कर रहे हैं. जिन्हें अस्पताल एडमिट भी कर रहे हैं, उनके परिवारवालों से पहले ही बताया जा रहा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी है और लिख कर लिया जा रहा है अगर कोई अनहोनी हुई तो अस्पताल जिम्मेदार नहीं होगा.
मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि उसने ऑक्सीजन की उपलब्धता 130 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 267 मीट्रिक टन कर दी है, यानी दो गुना ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ा दी गई. लेकिन डिमांड इससे भी दो गुना ज़्यादा है, इसलिए संकट तो होगा ही. 
सप्लाई करने वाला खुद महाराष्ट्र संकट में
दरअसल, मध्य प्रदेश की सांसों पर ये संकट इसलिए है क्योंकि गुजरात से ऑक्सीजन सप्लाई में रुकावटें आ गईं, महाराष्ट्र से ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो गई क्योंकि महाराष्ट्र तो खुद बड़े संकट में है. 
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है. महाराष्ट्र में 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है, जिसमें पूरी की पूरी ऑक्सीजन सप्लाई कोरोना मरीजों को दी जा रही है लेकिन डिमांड कहीं ज़्यादा है.
यहां पुणे जैसे शहरों में ऑक्सीजन की डिमांड तीन-चार दिन में पांच गुना तक बढ़ गई है. ऑक्सीजन और बेड की कमी से या तो मरीजों को एडमिट नहीं कर रहे या फिर उन्हें दूसरे अस्पतालों में भेजा जा रहा है, जहां बेड और ऑक्सीजन है.
पुणे के संजीवन अस्पताल के डॉक्टर मुकुंद पेनुरकर का कहना है कि 2-3 दिन से ऑक्सीजन की शॉर्टेज है, हमें या तो एडमिशन से मना करना पड़ रहा है या फिर दूसरे अस्पतालों में भेजना पड़ रहा है. लिमिटेड ऑक्सीजन सप्लाई की वजह से हमें उन मरीजों को भी देखना है जो पहले से भर्ती हैं.
दिल्ली हो या राजस्थान, सबका एक ही हाल
यही हाल देश के दूसरे हिस्सों में भी है. अस्पतालों में बेड का संकट तो अपनी जगह, ऑक्सीजन का संकट ऐसा है, जिसके सामने सिस्टम दम तोड़ रहा है. दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई की डिमांड तीन गुना बढ़ गई है. राजस्थान में दो हफ्ते में ऑक्सीजन की डिमांड ढाई गुना बढ़ गई है, यूपी में ऑक्सीजन की डिमांड इतनी है कि ऑक्सीजन तैयार करने वाली फैक्ट्रियां दोगुनी की गई.
झारखंड में ऑक्सीजन की डिमांड 20 गुना बढ़ चुकी है, रांची के अस्पतालों में ऑक्सीजन का स्टॉक खत्म होने वाला है. बेड और ऑक्सीजन के ही संकट से अस्पतालों के बाहर मरीज दम तोड़ रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
रांची के एक अस्पताल में बाहर ही एक मरीज ने दम तोड़ दिया. बेटी चीखती रही, हाथ जोड़ती रही, गुहार लगाती रही. अस्पताल के अंदर मंत्री भी राउंड पर आए थे, वहीं से गुजर भी गए. लेकिन सबने आंख-कान बंद कर लिए. Live TV
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