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इंदौर

दो साल में कम हो गए गिद्ध

  • 19 Feb 2024

पिछली बार 117 थे, अब 83 बचे; ट्रेंचिंग ग्राउंड में घटकर 11, सबसे ज्यादा पेडमी में 33 गिद्ध मिले
इंदौर। इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में अब गिद्धों की संख्या काफी कम रह गई है। वन विभाग द्वारा तीन दिनों में इंदौर, महू, मानपुर, चोरल रेंज में गिनती की गई। इस बार करीब 83 गिद्ध मिले हैं जिनमें 28 बच्चे हैं। दो साल पहले 117 मिले थे। गिद्धों की तेजी से कम होती संख्या ने इंदौर में इनके वर्चस्व की चिंता बढ़ा दी है।
रविवार सुबह ट्रेंचिंग ग्राउण्ड क्षेत्र में गिनती की गई। इसमें 11 गिद्ध मिले डीएफओ महेंद्रसिंह सोलंकी ने बताया कि रविवार को गिनती पूरी हो हई। इस बार पातालपानी में 2 और मेहंदी कुण्ड में 2 गिद्ध मिले हैं। सबसे ज्यादा 33 गिद्ध पेडमी में मिले। इसके पूर्व पिछली गिनती में ट्रेंचिंग ग्राउण्ड में ही 60 से ज्यादा पाए गए थे। फिर यहां कचरा प्लांट आने से इनकी संख्या तेजी से कम हुई। इस बार 11 ही मिले।
इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में अब गिद्धों की संख्या काफी कम रह गई है। वन विभाग द्वारा तीन दिनों में इंदौर, महू, मानपुर, चोरल रेंज में गिनती की गई। इस बार करीब 83 गिद्ध मिले हैं जिनमें 28 बच्चे हैं। दो साल पहले 117 मिले थे। गिद्धों की तेजी से कम होती संख्या ने इंदौर में इनके वर्चस्व की चिंता बढ़ा दी है।
रविवार सुबह ट्रेंचिंग ग्राउण्ड क्षेत्र में गिनती की गई। इसमें 11 गिद्ध मिले डीएफओ महेंद्रसिंह सोलंकी ने बताया कि रविवार को गिनती पूरी हो हई। इस बार पातालपानी में 2 और मेहंदी कुण्ड में 2 गिद्ध मिले हैं। सबसे ज्यादा 33 गिद्ध पेडमी में मिले। इसके पूर्व पिछली गिनती में ट्रेंचिंग ग्राउण्ड में ही 60 से ज्यादा पाए गए थे। फिर यहां कचरा प्लांट आने से इनकी संख्या तेजी से कम हुई। इस बार 11 ही मिले।
डीएफओ महेंद्रसिंह सोलंकी के मुताबिक गिनती रेंजर, एसडीओ, डिप्टी रेंजर, वन रक्षकों और एनजीओ द्वारा की गई। गिद्ध वहां पाए जाते हैं, जहां पर अकसर ग्रामीण मृत जानवरों को फेंकते हैं। गिद्धों को करीब से देखने के लिए मृत जानवरों के पास तक जाना पड़ता है। बदबू की वजह से 5 मिनट भी एक स्थान पर खड़े रहना मुश्किल होता है।
एनजीओ वाइल्ड वॉरियर्स के संचालक व बर्ड वॉचर राजेश खाबिया इस बार भी टीम में शामिल थे। उन्होंने बताया कि इंदौर, महू, मानपुर और चोरल रेंज में अलग-अलग टीमों ने गिनती की। ये सभी गिद्ध ईगिप्शियन प्रजाति के हैं।
ऐसे की जाती है गिनती
- गिद्ध जहां बैठते हैं, वहां के फोटो लिए जाते हैं। उड़ते और बैठे हुए गिद्धों को भी अलग-अलग गिना जाता है।
- उदाहरण के तौर पर पेडमी में 17 गिद्ध पहले दिन दिखे। दूसरे दिन 20 दिखे तो 17 के आंकड़े को छोड़ दिया जाएगा। तीसरे दिन 25 गिद्ध दिखे तो उसे स्टैंडर्ड माना जाएगा। फिर फोटोग्राफ्स की मदद से भी संख्या निकाली जाती है।
- ऐसा भी होता है कि जिस गिद्ध को एक स्थान पर देखा वह उड़कर दूसरी जगह जाकर बैठ जाए। ऐसी स्थिति में फोटोग्राफ से टेली किया जाता है।
गिनती इसलिए जरूरी
पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में गिद्धों की अहम भूमिका है। खाद्य शृंखला में ये सबसे ऊपर हैं। गिद्ध मृत प्राणियों के अवशेषों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इसलिए कम होती गई संख्या
गिद्धों की संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण रासायनिक दवा है, जो पशुओं के शवों को खाते समय गिद्धों के शरीर में पहुंच जाती है। गिद्धों पर इस दवा के घातक प्रभाव के बाद 2008 में उसे प्रतिबंधित कर दिया गया।