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बाबा पंडित

ध्यान हमारी निर्णय लेने की क्षमता को निखारता है

  • 22 Jun 2023

मन की दुविधा हो या अनिर्णय की स्थिति, दोनों ही परिस्थितियों में इनसे बाहर निकलने का एकमात्र जरिया है ध्यान। ध्यान हमारी समझ और निरीक्षण क्षमता को विकसित करने में सहायता करता है। और, एक बार जब हमारे भीतर यह क्षमता विकसित हो जाती है तो हमारी निर्णय क्षमता भी निखरने लगती है, ध्यान मन में इकट्ठा हुए तनावों को दूर करता है और मन को अपने असली स्वरूप में ले आता है। जब हमारा अंतर्मन शांत होता है, तब हम स्वत ही बाहरी संसार के साथ स्पष्ट मन से जुड़ जाते हैं। सभी तनावों से मुक्त मन एकाग्र, शांत और तीव्र हो जाता है। मन की इस अवस्था में लिए गए निर्णय, निश्चित रूप से अधिक उपयोगी और संतुलित होते हैं।
मैं सही निर्णय कैसे लूं? मैं यह कैसे जान पाऊं कि मैं सही निर्णय ले रहा हूं और यह निर्णय मुझे अच्छा परिणाम ही देगा? मैं यह कैसे तय कर पाऊं कि मेरे विचार मेरे काम को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकेंगे? इसके साथ-साथ, अन्य हितधारकों को भी अपने काम से कैसे प्रसन्न कर सकूं? ऐसा बहुत ही कम होता होगा, जबकि आपको अपने रोजमर्रा के जीवन के दौरान इस तरह के सवालों का सामना नहीं करना पड़ता होगा। हमें प्रतिदिन अपने घर एवं कार्यक्षेत्र में कई प्रकार के निर्णय लेने होते हैं। एक मैनेजर, सुपरवाइजर या एक गृहिणी की हैसियत से हमारे द्वारा लिया गया हर निर्णय हमारी योग्यता का मापदंड बन जाता है। यह जान कर आपकी उत्सुकता और भी जाग्रत हो जाएगी कि ध्यान आपकी निर्णय लेने की क्षमता को निखार सकता है।
ध्यान एक ऐसी प्राचीन शक्तिशाली विधि है, जिसका अभ्यास आपके मन को सुदृढ़ ऊर्जा के स्रोत में परिवर्तित कर देता है, जिससे आपका मन बुद्धिमान निर्णय लेने की क्षमता पा लेता है।
ध्यान मन में इकट्ठे हुए तनावों को दूर करता है और मन को अपने असली स्वरूप में ले आता है। जब हमारा अंतर्मन शांत होता है, तब हम स्वत ही बाहरी संसार के साथ स्पष्ट मन से जुड़ जाते हैं। सभी तनावों से मुक्त मन एकाग्र, शांत और तीव्र हो जाता है। मन की इस अवस्था में लिए गए निर्णय, निश्चित रूप से अधिक उपयोगी और संतुलित होते हैं। हमारा मन संसार के साथ रहते हुए अनेक तरह की बाहरी प्रवृत्तियों में संलग्न हो जाता है। ध्यान के फलस्वरूप, मन इन प्रवृत्तियों से मुक्त होकर सही दिशा में निष्पक्ष निर्णय लेने लगता है। नियमित ध्यान निर्णय लेने के लिए सही संतुलन देता है।
ध्यान आपके मस्तिष्क के दोनों भागों में संतुलन बनाए रखता है, जिससे आपको स्वयं को किसी प्रकार की नकारात्मकता या भावनात्मकता से दूर रखते हुए समाधान ढूंढ़ने का सामर्थ्य प्राप्त हो जाता है।
ध्यान आपको अपने उस अंतर्तम स्वयं की खोज में मदद करता है, जिसमें आप अपने आपको एक आनंदित और ऊर्जा के स्रोत के रूप में पाते हैं। आप जान पाते हैं कि एक असीम मस्ती और खुशी आपके खिले हुए स्वरूप में निहित है। आप आसानी से ही, बढ़े हुए काम के भार, दबाव और डेडलाइन को भी संभाल पाते हैं और हर पल एक अच्छा निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं।
आप कितनी दृढ़ता और विनम्रता से अपना निर्णय या अपने विचार किसी के सम्मुख रखते हैं, ध्यान इस बात को सुनिश्चित करेगा। दृढ़ता और विनम्रता के बीच एक सही संतुलन होना चाहिए, जो आपके अंतर्मन की जाग्रति से विकसित होता है। ध्यान आपके मन को एक सशक्त भाव देता है। परंपरागत रूप से, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति के साथ-साथ, अंतर्प्रज्ञा के द्वारा लिए गए निर्णय अधिक अच्छे और संपूर्ण होते हैं। ध्यान एक सहज तकनीक है, जो आपकी अंतर्प्रज्ञा को बढ़ाती है और साथ-साथ ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति को भी। अंतर्प्रज्ञा विचार का एक अतिरिक्त आयाम है, जो केवल ध्यान करने वाले लोग ही प्राप्त कर पाते हैं।
ध्यान आपकी समझ और निरीक्षण की क्षमता के विकास में मदद करता है। जब मन में पूर्ण रूप से स्पष्टता हो तो प्रभावी निर्णय लेने की क्षमता स्वत ही आ जाती है।
साभा लाइव हिन्दुस्तान