जनहित याचिका में हुई सुनवाई
इंदौर। शहर में कुत्तों के के बढ़ते आतंक को लेकर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में चल रही जनहित याचिका में सुनवाई हुई। इंदौर नगर निगम और शासन को बताना था कि उनके पास कुत्तों के आतंक से निपटने के क्या इंतजाम हैं। निगम और शासन दोनों ही के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने उन्हें याचिका की कापी अब तक नहीं दी है। कापी मिलने के बाद ही वे इसका जवाब दे सकेंगे। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे याचिका की प्रति उपलब्ध कराएं। कोर्ट मामले में मार्च के पहले सप्ताह में सुनवाई करेगा।
इंदौर में कुत्तों के काटने के मामले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नगर निगम ने कुत्तों की नसबंदी के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए, इसके बावजूद कुत्तों की संख्या नियंत्रित नहीं हो रही है। इंदौर में सिर्फ शासकीय हुकमचंद पाली क्लीनिक पर ही एंटी रैबीज टीका लगाने की व्यवस्था है, जबकि नियमानुसार हर शासकीय अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था होना चाहिए।
हुकमचंद पाली क्लीनिक में प्रति माह चार हजार से ज्यादा टीके लगाए जा रहे हैं। हर माह यह संख्या बढ़ रही है। शहर में कुछ निजी अस्पतालों में भी एंटी रैबीज टीका लगाने की व्यवस्था है। इन निजी अस्पतालों का आंकड़ा अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन अनुमान है कि इंदौर में औसतन आठ हजार एंटी रैबीज टीके प्रतिमाह लगाए जाते हैं। जनहित याचिका में कुत्तों की समस्या से स्थायी समाधान की मांग की गई है।
2014-15 से चल रही है नसबंदी की मुहिम
नगर निगम वर्ष 2014-15 से कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए उनकी नसबंदी की मुहिम चला रहा है। वर्तमान में एक कुत्ते की नसबंदी के लिए एजेंसी को 925 रुपये दिए जा रहे हैं। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि नगर निगम सीमा में करीब दो लाख 60 हजार कुत्ते हैं। इनमें से पौने दो लाख कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। शेष की नसबंदी के लिए दो एजेंसियां काम कर रही हैं।
इंदौर
नगर निगम और शासन कोर्ट में नहीं बता सके कुत्तों के आतंक से निपटने के क्या हैं इंतजाम
- 31 Jan 2024