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इंदौर

नगर निगम ने भ्रष्ट कर्मचारियों को हटाने की बजाय तबादला कर बचाया- संजय शुक्ला

  • 19 Nov 2021

भ्रष्टाचार के पोषक कर्मचारियों को दिया जा रहा है संरक्षण
इंदौर। नगर निगम भ्रष्ट कर्मचारियों को संरक्षण दे रहा है। हाल ये है कि भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों को निलंबन से बचाकर सिर्फ जगह बदल कर उन्हें बचाया जा रहा है। कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने यह आरोप लगाया है। शुक्ला ने कहा है कि इंदौर नगर निगम में भ्रष्ट कर्मचारियों को दिए जाने वाले संरक्षण की हकीकत उजागर होकर सामने आ गई है ।
हाल ही में करोड़ों रुपये की संपत्ति के मामले में पकड़े गए नगर निगम के कर्मचारी को बर्खास्त या निलंबित करने के बजाए स्थानांतरित करते हुए मामले में कार्रवाई की खानापूर्ति कर दी गई है। इससे पहले गणेशजी की मूर्तियों के साथ बदसलूकी करने वाले अधिकारियों को भी राहत दे दी गई है। विधायक शुक्ला ने कहा कि पिछले दिनों राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो के द्वारा इंदौर नगर निगम के लेखा अधिकारी के भरोसेमंद कर्मचारी राजकुमार सालवी के निवास पर छापामार कार्रवाई की गई थी । इस छापे में राजकुमार के पास करोड़ों रुपये की अकूत संपत्ति मिली। पिछले कई सालों से यह राजकुमार नगर निगम के खजाने का राजा बना हुआ था। निगम के उच्च अधिकारियों के लिए ठेकेदारों के भुगतान की राशि में से वसूली करने का कार्य इसके जिम्में रहा है। इस कर्मचारी के द्वारा हर भुगतान में रिश्वत के रूप में एक निश्चित प्रतिशत राशि लिए जाने की शिकायत के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो के द्वारा कार्यवाही की गई।
शुक्ला ने बताया कि पिछले दिनों ब्यूरो के द्वारा इस कार्रवाई की सूचना इंदौर नगर निगम को भेजी गई। ब्यूरो के द्वारा 29 अक्टूबर को यह सूचना नगर निगम को भेजी गई। इस सूचना के आधार पर निगम की ओर से भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त पाए गए इस कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाना थी। यह कर्मचारी नगर निगम का स्थाई कर्मचारी भी नहीं है, ऐसे में इस कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त किया जाना था अथवा निलंबित किया जाना था। इस मामले में नगर निगम आयुक्त के द्वारा भ्रष्ट कर्मचारी को संरक्षण देते हुए इस तरह की कोई कार्रवाई करने से अपने आपको बचा लिया गया है।
राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो के द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर निगमायुक्त ने गत दिनों एक आदेश जारी कर इस भ्रष्ट कर्मचारी राजकुमार सालवी को लेखा विभाग से हटाकर नगर निगम के ट्रेचिंग ग्राउंड पर पदस्थ कर दिया है। इस घटना से यह स्पष्ट है कि नगर निगम में भ्रष्ट कर्मचारियों को किस तरह से उधा अधिकारियों के द्वारा सहयोग और संरक्षण प्रदान किया जाता है।