कुछ दिन का रतजगा, बाईक पेट्रोलिंग सब रह गया धरा का धरा, और बढ़ गये अपराध, खुलेआम बिक रहे नशीले पदार्थ जिम्मेदार कौन इसका.... पुलिस प्रशासन, नशा बेचने वाला या नशा करने वाला?
इंदौर। अब शहर की जनता डर डर कर जीने के लिये मजबूर हैं,क्योंकि शहर मे अपराध घटने की बजाय बढ़ रहे हैं। इसका प्रमुख कारण पुलिस प्रशासन की प्रणाली है,जिसमे वाहवाही लुटने के लिये पुलिस अधिकारी बड़े जोर शोर से अभियान पर अभियान चलाते आ रहे हैं।इसके अंतर्गत थोड़ी बहुत छोटे मोटे अपराध करने वालों को पकड़ लेना चोरी करने वालो को पकड़ लेना और वाहवाही लुटते रहना बस यही हो रहा है यही है पुलिस प्रशासन इन्दौर शहर का।
जिनको पकड़ना चाहिए उनको देखा भी नही जाता।आज खुल्ले आम नशीले पदार्थ बिक रहे है उनकी ओर पुलिस का ध्यान या तो है ही नही या अनदेखी की जा रही है।शहर मे दिन हो या रात लोगो का निकलना दूभर हो गया है,हर दिन कुछ घंटो के अन्तराल मे खबर आती है इस थाने मे हत्या हो गई तो उस थाने मे रेप हो गया।पूरे शहर में आतंक का माहौल है,तो सवाल ये उठता हैं कि सारे थानों की पुलिस क्या कर रही है।एक एक थाने मे सालो से पदस्थ पुलिस कर्मी चाहे वो बड़े अधिकारी हो या छोटे सब जमे हुये हैं।काम सही नही तो इन्हे हटाया क्यों नहीं जाता। क्या करते हैं ये सालो थानों मे रहकर, अपराधों को रोकने मे क्या भूमिका होती है इनकी।नशा बेचने वाले क्या पुलिस की नजर में नहीं आते, या उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। कैसे जनता भरोसा करे पुलिस पर, इन बढ़ते अपराध और अपराधियो पर कब और कैसे नकेल कसी जायेगी। कुछ थानों में तो अपराधो मे इतनी बढोतरी हुई है कि पूछो ही मत, फिर भी पुलिस के बड़े अधिकारियों का ध्यान नहीं ऐसे थाने के थाना प्रभारीयो पर,वो तो उसी थाने मे जमे रहेंगे,कारण सभी को पता है।जो भी है आज जो स्तिथि नशाखोरी और उससे बढ़ते अपराधों की है उससे शहर की जनता मे डर बस गया है और पुलिस पर से भी जनता का भरोसा उठ गया है, और अब सवाल पुलिस प्रशासन प्रणाली पर उठ रहे है, जिसका जवाब पुलिस विभाग के आला। अधिकारियों को शहर मे बढ़ रहे अपराधों को रोककर देना होगा।