भोपाल। कोरोना काल ने आम आदमी की आर्थिक कमर तोड़कर रख दी थी। वहीं अस्पताल और निजी स्कूल वालों ने भी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूल वालों की मनमानी का आलम रहा कि कोरोना काल में उच्च न्यायालय से लेकर शासन ने निजी स्कूलों से सिर्फ शिक्षण शुल्क लेने के आदेश दिए थे, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ।
राजधानी भोपाल के 100 सीबीएसई स्कूलों में से करीब 75 स्कूलों ने 30 से 100 प्रतिशत तक शिक्षण शुल्क बढ़ा दिया। कोरोना काल में भी इन स्कूलों ने शिक्षण शुल्क के अलावा अन्य शुल्क जोड़कर अभिभावकों से अधिक पैसे वसूले। निजी स्कूलों के फीस पर लगाम और फीस संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 मध्यप्रदेश में 2020 से लागू है। इसके बावजूद इसका पालन नहीं हो रहा है। अब उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सागर पब्लिक स्कूल के कोविड काल के दौरान की फीस लौटाने के बाद अब पालक महासंघ अन्य स्कूलों के अभिभावकों की फीस को लौटाने के लिए अभियान चलाएगा।
सागर पब्लिक स्कूल के बाद अब अन्य स्कूलों के अभिभावक भी सामने आ रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास कोरोना काल में अभिभावकों की काफी शिकायतें पहुंचीं, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। विभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया, लेकिन उसका कोई भी असर स्कूलों पर नहीं पड़ा।
जिला स्तरीय समिति गठित नहीं हुई
मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 मध्यप्रदेश में 2020 से लागू है। इसके पालन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तर पर समिति गठित की गई है, लेकिन अब तक एक भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की गई। इस जिला समिति के अध्यक्ष कलेक्टर और सचिव जिला शिक्षा अधिकारी होते हैं। वहीं, जिला समिति द्वारा कार्रवाई नहीं करने या की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होने पर इसकी शिकायत प्रदेश समिति को की जा सकती है, जिसके अध्यक्ष लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त होते हैं। सागर पब्लिक स्कूल मामले में अभिभावकों द्वारा फीस अधिनियम के तहत समिति को शिकायत की गई थी।
भोपाल
नहीं किया आदेश का पालन, 75 स्कूलों ने कोरोना काल में वसूली अधिक फीस
- 05 Nov 2022