भोपाल। युवा शायर अभय शुक्ला का रविवार रात निधन हो गया। वे 6 मई को सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। सोमवार को भदभदा विश्राम घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। चाहने वालों ने नम आंखों से विदाई दी।
अभय ने 5 मई को ही अपना जन्मदिन मनाया था। अगली सुबह 6 मई को अपने घर नेहरू नगर से पीएंडटी चौराहा जाते समय उनकी बाइक ऐसी फिसली कि हेलमेट के बावजूद बस से सिर टकरा गया। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी।
अब पढ़िए अभय की एक रचना
मैं जैसा हूं मुझे रहने दो, मुझ को ये होने में जमाने लग गए हैं कई बचपन गरीबी खा चुकी है कई बच्चे कमाने लग गए हैं जनाजे देख के औरों के घर के, मुझे कुछ डर सताने लग गए हैं । (सेंट पीटर्सबर्ग, अमेरिका से प्रकाशित द्वैभाषिक पत्रिका सेतु में प्रकाशित अभय की गजल के अंश)
बेहतरीन शायरी के लिए मिले कई अवॉर्ड
अभय को 20 साल की उम्र में ही मप्र उर्दू अकादमी द्वारा ह्यतलाश ए जौहरह्ण से नवाजा गया। मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें गजल लेखन के लिए ह्यपुनर्नवा पुरुस्कारह्ण दिया गया। कला संस्थान छतनारा की कोर टीम के सबसे युवा सदस्य थे। अभय की परिकल्पना पर ही छतनारा संस्था ने ह्यजश्न-ए-बशीरह्ण का आयोजन किया था। अभय मंच संचालन के लिए भी जाने जाते थे। विश्वरंग इंटरनेशनल फेस्टिवल के ग्रांड मुशायरे की शुरूआत भी की थी।
भोपाल
नहीं रहे भोपाल के युवा शायर अभय शुक्ला, चाहने वालों ने नम आंखों से दी विदाई
- 11 Jun 2024