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भोपाल

निगम-मंडलों के अध्यक्ष हटते ही मंत्रियों ने संभाली कमान

  • 16 Feb 2024

मंत्री राकेश शुक्ला, टेटवाल और जायसवाल ने निगमों का पदभार संभाला
भोपाल।   सीएम  डॉ. मोहन यादव लगातार पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के कई फैसलों को बदलते जा रहे हैं। मंगलवार को सीएम मोहन यादव ने शिवराज सरकार में नियुक्त किए गए निगम, मंडल, प्राधिकरणों के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों को हटा दिया। सीएम के इस फैसले के बाद अब मंत्रियों ने निगम, मंडल और प्राधिकरणों का चार्ज लेना शुरू कर दिया है। इसकी शुरूआत नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने की है।
ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष का चार्ज संभाला-
नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ने बुधवार दोपहर करीब एक बजे लिंक रोड नंबर दो पर स्थित ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष का पदभार संभाला। ब्राह्मणों ने पूजा, अर्चना कराकर उन्हें पदभार ग्रहण कराया।
मप्र सरकार के कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री दिलीप जायसवाल ने बुधवार को मप्र संत रविदास हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम एवं मप्र खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया। मप्र शासन ने बुधवार को ही इस संबंध में आदेश जारी किए और उसके कुछ ही घंटे बाद मंत्री ने बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया।
कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल ने मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड भोपाल की कार्यकारिणी के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया
मंत्री टेटवाल ने रोजगार निर्माण बोर्ड अध्यक्ष का चार्ज लिया-
बुधवार को कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल ने मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड भोपाल की कार्यकारिणी के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। मंगलवार को सरकार ने निगम, मंडलों के 46 अध्यक्ष उपाध्यक्षों को हटाया मंगलवार देर रात प्रदेश के 46 निगम, मंडल और प्राधिकरणों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्तियां निरस्त कर दी गईं। इन सभी को कैबिनेट और राज्यमंत्रियों का दर्जा प्राप्त था। माना जा रहा है कि अब लोकसभा चुनाव के बाद नए सिरे से इन पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी।
अब लोकसभा चुनाव के बाद ह्यएडजस्टह्ण किए जाएंगे नेता
अगले तीन महीने में लोकसभा चुनाव होने हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद ही मोहन सरकार निगम, मंडल और प्राधिकरणों में अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्ति करेगी। जो नेता लंबे समय से उपेक्षित चल रहे हैं, उनको भी एडजस्ट किया जा सकता है। ऐसे भी नेताओं को मौका दिया जा सकता है, जो मजबूत दावेदार होने के बाद भी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं हासिल कर पाए थे।