इंदौर। निगम परिषद सम्मेलन में भाजपा पार्षद प्रशांत बड़वे ने कुत्तों के काटने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हम सभी पार्षद कुत्तों से परेशान हैं। हमारी एक कार्यकर्ता के बेटे को कुत्ते ने काटा है। वह आईसीयू में एडमिट है। प्रगति नगर में 8 वर्षीय बालिका को भी काटा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश है इसलिए ठोस कार्रवाई नहीं होती। महापौर जी, सुप्रीम कोर्ट में निगम की ओर से रि-पीटिशन लगाइए।
इस पर कांग्रेस पार्षद रुबीना खान ने कहा कि क्या सिर्फ यही बचा है। कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यहीं से पक्ष-विपक्ष में तकरार शुरू हो गई। खान ने मजेदार अंदाज में कुत्तों की संख्या बढऩे का कारण बताया। बोलते ही पूरा सदन ठहाकों से गूंजने लगा। सभापति, मेयर और निगमायुक्त सहित सभी पार्षद खूब हंसे।
खान ने कहा कि नगर निगम इन्हें पकडक़र नसबंदी करती है। लेकिन श्वानजी फिर से आ जाते हैं। हाथ में कुत्तों के बच्चों के दो फोटो सदन में दिखाते हुए कहा कि मैडम (कुतिया) ने मेरे घर के पीछे बगीचे में चार-चार बच्चे दिए हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि नसबंदी इलाज नहीं है।
श्वानजी की संख्या ऐसे ही नहीं बढ़ती। ये लेडी श्वान 6 छोटे श्वानजी को जन्म देती है। 6 श्वानजी बढक़र 12 श्वानजी हो जाते हैं। फिर 24 हो जाते हैं। 24 से 48 हो जाते हैं। इसके बाद आदरणीय श्वानजी की संख्या बढ़ती जाती है।
पार्षद बोले- तमीज से नाम लीजिए
जब खान ने कुत्तों कहकर अपनी बात कही तो भाजपा पार्षदों ने कहा कि आप तमीज से नाम लीजिए। इस पर उन्होंने कहा ठीक है, गलती हो गई। हमारे क्षेत्र में बहुत से श्वानजी हो गए हैं। श्वाजी बहुत काट रहे हैं। बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल कर दिया है। आदरणीय श्वानजीज् उनके कहते ही ठहाके शुरू हो गए।
खान ने कहा कि नसबंदी के बाद श्वानजी को उसी वार्ड में छोड़़ दिया जाता है। वार्ड की कोई सीमा नहीं होती। वे घूमते-घूमते दूसरे वार्ड में चले जाते हैं। यहां उनका लेडी श्वान से अफेयर हो जाता है। यह कोई हल नहीं है कि नसबंदी कर दो और वहीं छोड़ दो। जब हम छोटे थे तो कभी-कभी घर में कुत्ता घुस जाता था। तब परिवार के लोग यह नहीं बोलते थे कि श्वानजी तशरीफ लेकर आए हैं, उन्हें कार से छोड़ दो। अगर उन्हें बचपन से कुत्ता कहा है तो कुत्ता ही बोलेंगे।
सुझाव दिया कि श्वानजी के लिए शहर से बाहर एक बड़ी जमीन देखें। बड़ी शाला बनाएं। इसमें पार्षद मुद्रा शास्त्री जैसे पशु प्रेमी भी हैं। ये लोग दान दें। इस पर सभापति मुन्नालाल यादव ने हंसते हुए कि कहा यह बात मेरी ओर देखकर कहिए। खान ने कहा श्वानजी को इस शाला में रखा जाएं। फिर लोग इन्हें बचा हुआ भोजन-पानी दे सकते हैं। श्वानजी की नसबंदी भी हो चुकी तो उन्हें यहां छोड़ दीजिए, कोई परेशानी नहीं होगा। उनकी फैमिली बढ़ेगी नहीं। अगर फण्ड की कमी पड़े तो दिल्ली से मेनकाजी से मंगवा लें। खान का यह मजेदार अंदाज 5-7 मिनट का रहा और खूब गुदगुदाया। इस दौरान सभी के हंसते-हंसते पेट दुखने लगे।
आधे घंटे में ही भूल गए ताई की पाठशाला
खास बात यह कि सम्मेलन के पहले पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सदन की गरिमा, पार्षदों को कैसे बोलना चाहिए सहित कई बातों को विस्तार से बताया। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेजी सहित कई उदाहरण दिए। यह बात भाजपाई और कांग्रेसियों दोनों को कही। सभी ने इसे शांति से सुना और मौन रूप से अमल करने की बात कही। फिर जैसे ही ताई रवाना हुई और सम्मेलन शुरू हुआ तो फिर कई मुद्दों पर भाजपा और कांग्रेस के पार्षद ताई का पाठ भूल गए। उन्होंने चिल्ला-चिल्लाकर एक दूसरे पर आरोप लगाए और जमकर नारेबाजी की।
ताई के मन में हाईकमान का दर्द, कांग्रेसी जाएंगे उनके घर
नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने मीडिया से कहा कि ताई ने जो कुछ कहा है वह उनके मन का दर्द है। भाजपा ने ताई का अपमान किया है। इसके चलते उन्हें सम्मेलन में आकर सफाई देनी पड़ी। जब मोदीजी के नाम से स्टेडियम हो सकता है तो ताई के नाम क्यों नहीं। ताई के मन में आज भी पार्टी के प्रति समर्पण का भाव दिखा। उनका इतना अपमान हुआ फिर भी पार्टी के खिलाफ कोई बात नहीं कही। ताई जहर का घूंट पी रही है। यह दलबदल कर रहे नेताओं के लिए सीखने की बात है। ताई सम्मान की मोहताज भी नहीं है। वह योग्य है, उन्हें सम्मान मिलना था। कांग्रेस की सरकार बनने पर उनके नाम से कुछ न कुछ करेंगे। हम ताई के यहां जाएंगे और कहेंगे कि आपसे सभी को सीखने की आवश्यकता है।
इंदौर
निगम सम्मेलन में जमकर ठिठोली- कांग्रेस पार्षद ने बता दी कुत्तों की संख्या; मजेदार अंदाज में कहा- उन्हें श्वानजी बोलो
- 17 Feb 2024