जनहित याचिका में मप्र हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने सरकार से छह सप्ताह में मांगा जवाब
इंदौर। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि निजी अस्पताल, नर्सिंग होम और सरकारी अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने में उसे क्या दिक्कत है। प्रदेश में सिर्फ सात सरकारी अस्पातलों में ही ये केंद्र क्यों खोले गए और इंदौर में एक भी सरकारी अस्पताल में यह केंद्र क्यों नहीं हैं। सरकार को इस संबंध में छह सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करना है।
हाई कोर्ट ने शासन को यह नोटिस उस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए जारी किया है जिसमें सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र नहीं होने का मुद्दा उठाया गया है। याचिका में कहा है कि इन जन औषधि केंद्रों के माध्यम से जनता को सस्ती दरों पर आवश्यक दवाइयां उपलब्ध होती हैं। एक तरफ तो सरकार गली-मोहल्ले में ये केंद्र खोल रही है दूसरी तरफ निजी अस्पताल, नर्सिंग होम और सरकारी अस्पतालों में इन्हें खोलने से परहेज किया जा रहा है जबकि इन्हीं जगह आम आदमी को सस्ती दवाइयों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
याचिका एडवोकेट विनोद द्विवेदी ने दायर की है। वे ही याचिकाकर्ता भी हैं। उनका कहना है कि वे शासन को कई बार इस संबंध में पत्र लिख चुके हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इस संबंध में पत्र लिखा था। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक देशभर में एक हजार 27 शासकीय अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं, लेकिन मप्र में सिर्फ सात शासकीय अस्पतालों में ही ये औषधि केंद्र चल रहे हैं।
इंदौर
निजी और सरकारी अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने में दिक्कत क्या है?
- 25 Feb 2022